क्यूं बंद किया
लक्ष्मण रेखा के घेरे मै
कारण तक नहीं समझाया
ओर वन को प्रस्थान किया
यह भी नहीं सोचा
मैं भी एक मनुष्य हूँ
स्वतन्त्रता है अधिकार मेरा
यदि आवश्कता हुई
अपने को बचाना जानती हूं
पर शायद यहीं मै गलत थी
अपनी रक्षा कर न सकी
रावण से ख़ुद को बचा न सकी
मैं कमजोर थी अब समझ गयी हूं
यदि तुम्हारा कहा
सुन लिया होता
अनर्गल बातों से
दुखित तुम्हें न किया होता
राम तक पहुंचने के लिए
कष्ट मैं उनहें देख
जाने के लिए तुम्हें
बाध्य ना किया होता
मैं लक्ष्मण रेखा पार नहीं करती
यह दुर्दशा नहीं होती
विछोह भी न सहना पड़ता
अग्नि परीक्षा से न गुजरना पड़ता
धोबी के कटु वचनों से
मन भी छलनी ना होता
क्या था सही ओर क्या गलत
अब समझ पा रही हूं
इसी दुःख का निदान कर रही हूं
धरती से जन्मी थी
फिर धरती में समा रही हूं |
आशा
सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः
लक्ष्मण रेखा के घेरे मै
कारण तक नहीं समझाया
ओर वन को प्रस्थान किया
यह भी नहीं सोचा
मैं भी एक मनुष्य हूँ
स्वतन्त्रता है अधिकार मेरा
यदि आवश्कता हुई
अपने को बचाना जानती हूं
पर शायद यहीं मै गलत थी
अपनी रक्षा कर न सकी
रावण से ख़ुद को बचा न सकी
मैं कमजोर थी अब समझ गयी हूं
यदि तुम्हारा कहा
सुन लिया होता
अनर्गल बातों से
दुखित तुम्हें न किया होता
राम तक पहुंचने के लिए
कष्ट मैं उनहें देख
जाने के लिए तुम्हें
बाध्य ना किया होता
मैं लक्ष्मण रेखा पार नहीं करती
यह दुर्दशा नहीं होती
विछोह भी न सहना पड़ता
अग्नि परीक्षा से न गुजरना पड़ता
धोबी के कटु वचनों से
मन भी छलनी ना होता
क्या था सही ओर क्या गलत
अब समझ पा रही हूं
इसी दुःख का निदान कर रही हूं
धरती से जन्मी थी
फिर धरती में समा रही हूं |
आशा
सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः
8 comments:
अति उत्तम...
सुन्दर रचना...
सादर
Bahut sunder likha hai.
सीता के मन की व्यथा को बहुत ही सटीक अभिव्यक्ति दी है ! एक बहुत ही सशक्त एवं सार्थक रचना ! बहुत सुन्दर !
आदरणीया यशोदा जी , लता जी और साधना जी आप सब का बहुत बहुत धन्यवाद और आभार प्रोत्साहन के लिए ..बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति है आशा जी द्वारा ये ..
भ्रमर ५
हाँ आशा जी लक्ष्मण रेखा का ध्यान बहुत जरुरी है इसे लांघने का प्रयास न करें ...करें भी कोई तो बहुत सोच समझ शायद ही सफलता मिल पाती है ...सुन्दर
भ्रमर ५
लाजवाब रचना,बहुत सुंदर अभिव्यक्ति...
Rajpurohit Samaj!
पर पधारेँ।
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति....
प्रिय सवाई सिंह जी और कैलाश जी आप सब का बहुत बहुत आभार अपना स्नेह बनाये रखें
आभार
भ्रमर ५
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