अहंकारी खो देता सम्मान
ओर विवेक भी करता दान
"सब कुछ है वह"यही सोच
दूसरों का करता अपमान
अहंकार जन्मजात नहीं होता
कमजोरों पर ही हावी होता
अहम् भाव से भरा हुआ वह
सब को हेय समझता है
यह भाव यदि हावी हो जाये
मनुष्य गर्त में गिरता है
अहंकार से भरा हुआ वह
उस घायल योद्धा सा है
जो कुछ भी कर नहीं सकता
पर जीत की इच्छा रखता है
यह कोई हथियार नहीं
जिसके बल शासक बन पाये
स्वविवेक भी साथ ना दे
तर्क शक्ति भी खो जाये
जो अहम् छोड़ पाया
सही दिशा खोज पाया
सफल वही हो पाया
यह कहावत सच्ची है
घमंडी का सिर नीचा होता
अहम् भाव से भरा हुआ वह
सब को हेय समझता है
यह भाव यदि हावी हो जाये
मनुष्य गर्त में गिरता है
अहंकार से भरा हुआ वह
उस घायल योद्धा सा है
जो कुछ भी कर नहीं सकता
पर जीत की इच्छा रखता है
यह कोई हथियार नहीं
जिसके बल शासक बन पाये
स्वविवेक भी साथ ना दे
तर्क शक्ति भी खो जाये
जो अहम् छोड़ पाया
सही दिशा खोज पाया
सफल वही हो पाया
यह कहावत सच्ची है
घमंडी का सिर नीचा होता
है समय अधिक बलवान
सही सीख दे जाता है |
आशा
सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः
आशा
सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः
4 comments:
आदरणीया आशा जी .बिलकुल सटीक ..अहंकार हमारा बहुत बड़ा शत्रु है .इससे लोग खुद को खुदा मान बैठते हैं सुन्दर रचना ..सुन्दर सन्देश .. जय श्री राधे
भ्रमर ५
बढ़िया प्रस्तुति |
आभार |
बहुत सुन्दर रचना ! अहंकार कभी किसीका हित नहीं करता ! अहंकारी स्वयं को चाहे कितना भी बड़ा मान ले वह दूसरों की दृष्टि में सदैव बौना ही होता है ! सुन्दर रचना के लिये शुभकामनायें !
आदरणीय रविकर जी और साधना वैद्य जी प्रोत्साहन हेतु बहुत बहुत आभार अपना स्नेह बनाए रखें .... -भ्रमर ५
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