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Friday 18 May 2012

दिशा हीन



दिशा हीन सा भटक रहा ,
आज यहां तो कल वहां ,
अपनी मंजिल खोज रहा ,
आज यहां तो कल वहां
क्या चाहता है कल क्या होगा ,
इसका कोइ अंदाज नहीं ,
कल भी वह अंजाना था ,
अपने सपनों में खोया रहता था ,
लक्ष क्या है नहीं जानता था ,
बिना लक्ष दिशा तय नहीं होती ,
यह भी सोचता न था ,
पढता था इस लिये ,
कि पापा मम्मी चाहते थे ,
या इसलिए कि,
बिना डिग्री अधूरा था ,
पर डिग्री ले कर भी ,
और बेकार हुआ आज ,
जो छोटा मोटा काम ,
शायद कभी कर भी पाता ,
उसके लिए भी बेकार हुआ ,
ख्वाब बहुत ऊंचे ऊंचे ,
जमीन पर आने नहीं देते ,
जिंदगी के झटकों से ,
दो चार होने नहीं देते ,
हर समय बेकारी सालती है ,
मन चाही नौकरी नहीं मिलती ,
यदि नौकरी नहीं मिली ,
तो आगे हाल क्या होगा ,
यही सवाल उसको ,
अब बैचेन किये रहता है ,
यदि थोड़ी भी हवा मिली ,
एक तिनके की तरह ,
उस ओर बहता जाता है
पैदा होती हजारों कामनाएं ,
कईसंकल्प मन में करता है ,
कोइ विकल्प नजर नहीं आते ,
दिशा हीन भटकता है |
आशा
सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः

10 comments:

रविकर said...

बहुत बढ़िया |
बधाई स्वीकारें ||

Smart Indian said...

बहुत सुन्दर!

SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR5 said...

हाँ आशा जी ये बेकारी और बेरोजगारी के पल बहुत सालते हैं दिल को ,,संकल्प दृढ हों और फलदायी हों तो आनद और आये
जय श्री राधे
भ्रमर ५

Asha Lata Saxena said...

बधाई के लिए आभार रविकर जी |
आशा

Asha Lata Saxena said...

टिप्पणी हेतु आभार |आशा

Asha Lata Saxena said...

सुरेन्द्र जी कविता अच्छी लगी जान कर अच्छा लगा टिप्पणी हेतु आभार |
आशा

महेन्‍द्र वर्मा said...

ख्वाब अगर सच नहीं होता तो युवा-मन में भटकाव की स्थिति आ जाना स्वाभाविक है।
सामयिक संदर्भों को समेटती अच्छी कविता।

Asha Lata Saxena said...

टिप्पणी हेतु धन्यवाद महेंद्र जी |आपलोगों की टिप्पणी लेखन को बल प्रदान करती हैं |
आशा

निर्मला कपिला said...

aashaa jee bahut sundar racanaa| badhaaI|

SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR5 said...

आदरणीया निर्मला जी बहुत बहुत आभार आप का प्रोत्साहन हेतु ........आशा जी जैसा आप से भी योगदान की उम्मीदें होंगी इस मंच पर ...बताइयेगा ...जय श्री राधे आप का आशीष भी बना रहे ..भ्रमर ५