"फूल " क्यूं है सदा से आदर्श
हर हाल, हर मौसम में क्यूं कि
मुस्कुराते हैं सहर्ष |
दीप क्यूं है सदा से आदर्श
क्योंकि तिमिर से सदैव
कठिन संघर्ष
जीवन तुझसे कहना यही है
फूलों से मुसकाते रहना
दीपों सा जल लड़ते रहना
छोड़ना न आशा का दामन
संषर्ष से मुँह चुराना ना|
रूचि सक्सेना
2 comments:
रूचि जी बधाई हो बहुत सुन्दर सन्देश देती हुयी न्यारी और .प्यारी रचना ...हंसते मुस्कुराते रहें तो निखर आ जाता है व्यक्तित्व में ...भ्रमर ५
सार्थक एवं सुन्दर सन्देश देती बहुत ही प्यारी रचना रूचि ! फूल और दीपक हमें संघर्षरत रहने के लिए कितनी खामोशी से प्रेरित करते रहते हैं ! बस उस पल की प्रतीक्षा है जब हम इस सन्देश को सुन सकें और उस पर अमल करना चाहें ! बहुत सुन्दर रचना !
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