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Saturday 7 July 2012

फूल

 "फूल " क्यूं है सदा से आदर्श 
हर हाल, हर मौसम में क्यूं  कि 
मुस्कुराते हैं सहर्ष  |





दीप क्यूं है सदा से आदर्श 
क्योंकि तिमिर से सदैव 
कठिन संघर्ष 



                                                       जीवन तुझसे कहना यही है
फूलों से मुसकाते रहना 
दीपों सा जल लड़ते रहना 
छोड़ना  न आशा का दामन
संषर्ष से मुँह चुराना ना|

रूचि सक्सेना

2 comments:

SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR5 said...

रूचि जी बधाई हो बहुत सुन्दर सन्देश देती हुयी न्यारी और .प्यारी रचना ...हंसते मुस्कुराते रहें तो निखर आ जाता है व्यक्तित्व में ...भ्रमर ५

Sadhana Vaid said...

सार्थक एवं सुन्दर सन्देश देती बहुत ही प्यारी रचना रूचि ! फूल और दीपक हमें संघर्षरत रहने के लिए कितनी खामोशी से प्रेरित करते रहते हैं ! बस उस पल की प्रतीक्षा है जब हम इस सन्देश को सुन सकें और उस पर अमल करना चाहें ! बहुत सुन्दर रचना !