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Monday, 16 July 2012

नर्मदा उदगम स्थल

सैयाद्री पहाड़ियों से
हरी भरी वादी मे
नर्मदा का  उदगम  देखा
ऊँची पहाड़ियों से
जल धाराओं का आना देखा

जब पड़ी प्रथम किरण
 सूरज की उन  पर
सुंदरता को बढते देखा
प्रकृति नटी के इस वैवभ का
प्रसार दिगदिगंत में देखा
यह अतुलनीय उपहार सृष्टि का
मन मोहक श्रंगार धारा का
दृष्टि जहां तक जाती है
उन पहाड़ियों में खो जाती है
धवल दूध सी धाराएं
कई मार्गों से आ कर 
कलकल निनाद  कर बहती 
बहते जल की स्वर लहरी
वादी को गुंजित करती
अद्भुद संगीत मन में भरती
प्रफुल्लित करती जाती 
हल्की हल्की बारिश भी
वहां से हटने नहीं देती
मन स्पंदित कर देती 
रुकने को बाध्य करती 
बिताया गया वहां हर पल
कई बार खींचता मुझको
मन करता है घंटों अपलक
निहारती रहूं उसको
वह हरियाली और जल की धाराएं
अपनी आँखों में भर लूं
फिर जब भी आँखें बंद करूं
हर दृश्य साकार करूं |
आशा




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10 comments:

Sawai Singh Rajpurohit said...

सुंदर रचना, बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति!

Sawai Singh Rajpurohit said...

सुंदर रचना, बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति!

Anju (Anu) Chaudhary said...

बेहद सुन्दर प्रस्तुति

SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR5 said...

आदरणीया अंजू जी प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत आभार ....भ्रमर ५

SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR5 said...

प्रिय सवाई सिंह जी रचना आप को सुन्दर लगी और आप ने सराहा ..आभार ..आदरणीय आशा जी की रचनाये बहुत ही मन मोहक होती ही हैं ..भ्रमर ५

SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR5 said...

आदरणीया आशा जी मन निर्मल हो गया ये नर्मदा उद्गम स्थल और मंदिर शीतल जल देख के ...मन करता है ऐसे रमणीय स्थान में बस ही जाएँ ..बधाई ..यात्रा पर गयीं थीं क्या ?
भ्रमर ५

Sadhana Vaid said...

मनमोहक स्थल एवं अत्यंत सुन्दर रचना ! बहुत आनंद आया इसे देख कर ! अपनी ओंकारेश्वर की यात्रा का हर क्षण आँखों के आगे साकार हो गया ! बहुत बढ़िया !

Asha Lata Saxena said...

आप सब का आभार टिप्पणियों से प्रोत्साहित करने के लिए |
सही अंदाज लगाया है मैं २-३ साल पहले अमरकंटक गयी थी |वहाँ मुझे बहुत अच्छा लगा था |वहीँ यह रचना लिखी थी |
आशा

Asha Joglekar said...

नर्मदा के उद्गम स्थल का मनमोहक वर्णन । आपकी इस रचना ने इस दृष्य को साकार कर दिया ।

SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR5 said...

आदरणीया आशा जोगलेकर जी आशा जी की रचना को आप ने सराहा मन अभिभूत हुआ रमणीय स्थल है ही नर्मदा उद्गम स्थल ...आभार
भ्रमर ५