सैयाद्री पहाड़ियों से
हरी भरी वादी मे
नर्मदा का उदगम देखा
ऊँची पहाड़ियों से
जल धाराओं का आना देखा
हरी भरी वादी मे
नर्मदा का उदगम देखा
ऊँची पहाड़ियों से
जल धाराओं का आना देखा
जब पड़ी प्रथम किरण
सूरज की उन पर
सुंदरता को बढते देखा
प्रकृति नटी के इस वैवभ का
प्रसार दिगदिगंत में देखा
यह अतुलनीय उपहार सृष्टि का
मन मोहक श्रंगार धारा का
दृष्टि जहां तक जाती है
उन पहाड़ियों में खो जाती है
धवल दूध सी धाराएं
कई मार्गों से आ कर
कलकल निनाद कर बहती
बहते जल की स्वर लहरी
वादी को गुंजित करती
अद्भुद संगीत मन में भरती
प्रफुल्लित करती जाती
हल्की हल्की बारिश भी
वहां से हटने नहीं देती
मन स्पंदित कर देती
रुकने को बाध्य करती
बिताया गया वहां हर पल
कई बार खींचता मुझको
मन करता है घंटों अपलक
निहारती रहूं उसको
वह हरियाली और जल की धाराएं
अपनी आँखों में भर लूं
फिर जब भी आँखें बंद करूं
हर दृश्य साकार करूं |
आशा
,
सूरज की उन पर
सुंदरता को बढते देखा
प्रकृति नटी के इस वैवभ का
प्रसार दिगदिगंत में देखा
यह अतुलनीय उपहार सृष्टि का
मन मोहक श्रंगार धारा का
दृष्टि जहां तक जाती है
उन पहाड़ियों में खो जाती है
धवल दूध सी धाराएं
कई मार्गों से आ कर
कलकल निनाद कर बहती
बहते जल की स्वर लहरी
वादी को गुंजित करती
अद्भुद संगीत मन में भरती
प्रफुल्लित करती जाती
हल्की हल्की बारिश भी
वहां से हटने नहीं देती
मन स्पंदित कर देती
रुकने को बाध्य करती
बिताया गया वहां हर पल
कई बार खींचता मुझको
मन करता है घंटों अपलक
निहारती रहूं उसको
वह हरियाली और जल की धाराएं
अपनी आँखों में भर लूं
फिर जब भी आँखें बंद करूं
हर दृश्य साकार करूं |
आशा
,
10 comments:
सुंदर रचना, बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति!
सुंदर रचना, बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति!
बेहद सुन्दर प्रस्तुति
आदरणीया अंजू जी प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत आभार ....भ्रमर ५
प्रिय सवाई सिंह जी रचना आप को सुन्दर लगी और आप ने सराहा ..आभार ..आदरणीय आशा जी की रचनाये बहुत ही मन मोहक होती ही हैं ..भ्रमर ५
आदरणीया आशा जी मन निर्मल हो गया ये नर्मदा उद्गम स्थल और मंदिर शीतल जल देख के ...मन करता है ऐसे रमणीय स्थान में बस ही जाएँ ..बधाई ..यात्रा पर गयीं थीं क्या ?
भ्रमर ५
मनमोहक स्थल एवं अत्यंत सुन्दर रचना ! बहुत आनंद आया इसे देख कर ! अपनी ओंकारेश्वर की यात्रा का हर क्षण आँखों के आगे साकार हो गया ! बहुत बढ़िया !
आप सब का आभार टिप्पणियों से प्रोत्साहित करने के लिए |
सही अंदाज लगाया है मैं २-३ साल पहले अमरकंटक गयी थी |वहाँ मुझे बहुत अच्छा लगा था |वहीँ यह रचना लिखी थी |
आशा
नर्मदा के उद्गम स्थल का मनमोहक वर्णन । आपकी इस रचना ने इस दृष्य को साकार कर दिया ।
आदरणीया आशा जोगलेकर जी आशा जी की रचना को आप ने सराहा मन अभिभूत हुआ रमणीय स्थल है ही नर्मदा उद्गम स्थल ...आभार
भ्रमर ५
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