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Sunday 22 April 2012

बचा लो धरती, मेरे राम-

माँ  सब  मंगल  करें ।।

बचा लो धरती, मेरे राम-

सात अरब लोगों का बोझ,  अलग दूसरी दुनिया खोज |
हुआ यहाँ का चक्का जाम, बचा लो धरती, मेरे राम ! 1 !
सिमटे वन घटते संसाधन, अटक गया राशन उत्पादन |
बढ़ते रहते हर  दिन  दाम, बचा लो  धरती,  मेरे  राम ! 2|


बढे  मरुस्थल  बाढ़े ताप, धरती सहती मानव पाप  |
अब भूकंपन आठों-याम, बचा लो धरती, मेरे राम ! 3 !
हिमनद मिटे घटेगा पानी, कही  बवंडर की मनमानी  |
करे सुनामी काम-तमाम, बचा लो धरती, मेरे राम ! 4 !
 

जीव - जंतु  के  कई प्रकार, रहा प्रदूषण उनको मार  |
दोहन शोषण से कुहराम, बचा लो धरती, मेरे राम ! 5 !
जहर कीटनाशक का फैले, नाले-नदी-शिखर-तट मैले | 
सूक्ष्म तरंगें भी बदनाम, बचा लो धरती, मेरे राम ! 6 !

मारक गैसों की भरमार, करते बम क्षण में संहार  |
 जला रहा जहरीला घाम, बचा लो धरती, मेरे राम ! 7 !
मानव - अंगों  का  व्यापार, सत्संगो  का सारोकार|
बिगढ़ै पावन तीरथ धाम, बचा लो धरती, मेरे राम ! 8 !

2 comments:

SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR5 said...

प्रिय रविकर जी ..सुधार को प्रेरित करती रचना ...अब भूकंपन आठों याम .....प्रभु ही बचाएं ...जागों लोगों ...
भ्रमर ५

Asha Lata Saxena said...

achchee rachanaa