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Friday, 15 July 2011

"दो रोटी" के खातिर अब तो "तिलक लगा" घर वाले भेजें


उनको हमने दिया "सुदर्शन"

"भ्रमर " कहें रखवाली लाये !

कौन जानता -सभी शिखंडी

नाच-गान ही मन को भाए !!

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मन छोटा कर घर से अब तो

"जान हथेली" ले निकले !

"दो रोटी" के खातिर अब तो

"तिलक लगा" घर वाले भेजें

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छद्म युद्ध है- नहीं सामने

योद्द्धा ना - कोई शर्तें !

"कायर" ही अब भरे हुए हैं

पीठ में ही छूरा घोंपें !!

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ह्रदय काँपता अब संध्या में

दिया जले या बुझ जाए !

"रोज-रोज आंधी" आती है

जो उजाड़ सब कुछ जाए !!

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"ढुलमुल नीति " से भंवर फंसे हैं

दो कश्ती पर पाँव रखे !

एक किनारे पर जाने को

साहस -नहीं -ना-दम भरते !!

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चिथड़े पड़े "खून" बिखरा है

"ह्रदय विदीर्ण" हुआ देखे !

आँखें नम हैं धरती भीगी

"जिन्दा लाश" बने बैठे !!

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अर्धनग्न -महफ़िल में मंत्री

शर्म -हया सब बेंच खोंच के !

हो मदान्ध- हैं बौराए ये

इस पीड़ा- क्षण -जा बैठे !!

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हंसी -ठिठोली -सुरा- सुन्दरी

जुआ -दांव में बल आजमायें

ये क्या जानें - पीर परायी

निज ना मरा -दर्द क्या होए !!

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ना जाने क्यों पाले कुत्ते

बोटी नोचे - देख रहे

ये राक्षस हैं - पापी ये

"धर्मराज" बन कर बैठे !!

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जो तुम "तौल नहीं सकते सम"

गद्दी से - मूरख - उठ- जाओ !

"हाथ" में अब भी कुछ ताकत तो

"उसको" तुम फ़ौरन लटकाओ !!

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भ्रमर ५

१५.७.२०११ जल पी बी १० मध्याह्न

11 comments:

मनोज कुमार said...

चिथड़े पड़े "खून" बिखरा है

"ह्रदय विदीर्ण" हुआ देखे !

आँखें नम हैं धरती भीगी

"जिन्दा लाश" बने बैठे !!
भंवर जी, बहुत ही सशक्त अभिव्यक्ति।

अजय कुमार said...

जो तुम "तौल नहीं सकते सम"

गद्दी से - मूरख - उठ- जाओ !

"हाथ" में अब भी कुछ ताकत तो

"उसको" तुम फ़ौरन लटकाओ !!


पूर्ण सहमत ,सुंदर रचना ,बधाई।

Surendra shukla" Bhramar"5 said...

आदरणीय मनोज जी हार्दिक अभिनन्दन इस रचना में व्यक्त आज भरे दर्द और मर्म को आप ने समझा समर्थन दिया धन्यवाद आप का काश हमारी सरकार भी होश में आती
भ्रमर ५

Surendra shukla" Bhramar"5 said...

प्रिय अजय जी -अभिनन्दन है आप का -जो हमें न्याय नहीं दिला सकते जोखिम से बचा नहीं सकते पेट नहीं भर सकते उस सरकार का रहना न रहना व्यर्थ ही है समर्थन के लिए आभार
भ्रमर ५

सूर्यकान्त गुप्ता said...

वर्तमान हालात बयां करती सुंदर रचना……आभार…।

हरकीरत ' हीर' said...

दो रोटी" के खातिर अब तो "तिलक लगा" घर वाले भेजें

बहुत ही तीखा व्यंग है आपकी रचनाओं में और गहरी पकड़ भी .....

सार्थक अभिव्यक्ति .....!!

vidhya said...

आप का बलाँग मूझे पढ कर अच्छा लगा , मैं भी एक बलाँग खोली हू
लिकं हैhttp://sarapyar.blogspot.com/

आपको मेरी हार्दिक शुभकामनायें.
अगर आपको love everbody का यह प्रयास पसंद आया हो, तो कृपया फॉलोअर बन कर हमारा उत्साह अवश्य बढ़ाएँ।
--
hai

SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR5 said...

सूर्यकांत गुप्ता जी हार्दिक अभिनन्दन और आभार दो रोटी की खातिर अब तो ..रचना मुम्बई ब्लास्ट पर आधारित है दर्द से भरी --आप का समर्थन मिला हर्ष हुआ
भ्रमर ५
भ्रमर का दर्द और दर्पण

SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR5 said...

हरकीरत हीर जी हार्दिक अभिनन्दन और आभार दो रोटी की खातिर अब तो ..रचना मुम्बई ब्लास्ट पर आधारित है दर्द से भरी -दर्द से छटपटाते लोग कर्कश प्रहार तो करेंगे ही --आप का समर्थन मिला हर्ष हुआ
भ्रमर ५
भ्रमर का दर्द और दर्पण

S.M.Masoom said...

Badhia Panktiyan.
http://www.amankapaigham.com/2011/07/blog-post_28.html

SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR5 said...

यस यम मासूम जी धन्यवाद आप का रचना पसंद आई -अभिनन्दन आप का हमारे इस ब्लॉग पर भी
भ्रमर ५