दो फाड़ हो चुके
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चूहों की चौपाल में
घमासान जारी है
दो फाड़ हो चुके
फिर भी ये टुकड़ा
अभी बहुत भारी है....
तीन चूहे
एक रोटी
सामर्थ्य नहीं
नोच दो फाड़ दो
उछल कूद जारी है...
उधेड़बुन, कशमकश
एक कोने से दूजे कोने
दौड़ भाग केंद्र तक जारी है...
मन नहीं है बांटने का
अनमना मन
लिहाज शर्म हया
अब भी सब पे भारी है....
खिसियाहट
दांत गड़ाने
दांत निपोरने
नाम बदलने से
अच्छा है बांट दो
सुगबुगाहट जारी है....
तीन टुकड़े भले होंगे
दर्द भूल जाएगा
हलाहल पच जाएगा
तीनों का पेट तो भर जाएगा
बहस अभी जारी है...
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सुरेन्द्र कुमार शुक्ल भ्रमर 5
प्रतापगढ़, उत्तर प्रदेश, भारत।
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