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Sunday 10 July 2011

सच तो शिव है -शिव ही करता नाग सरीखा संग-संग रहता

सच एक हंस है

पानी दूध को अलग किये ये

मोती खाता -मान-सरोवर डटा हुआ है

धवल चाँद है

अंधियारे को दूर भगाता

घोर अमावस -अंधियारे में

महिमा अपनी रहे बताता

ये तो भाई पूर्ण पड़ा है !

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सच-सूरज है अडिग टिका है

लाख कुहासा या अँधियारा

चीर फाड़ हर बाधाओं को

रोशन करने जग आ जाता

प्राण फूंक हर जड़-जंगम में

नव सृष्टि ये रचता जाता

सुबह सवेरे पूजा जाता !!

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सच- आत्मा है - परमात्मा है

कभी मिटे ना लाख मिटाए

चाहे आंधी तूफाँ आये

चले सुनामी सभी बहाए

दर्द कहीं है लाश बिछी है

भूखा कोई रोता जाये

कहीं लूट है - घर भरते कुछ

सच - दर्पण है सभी दिखाए !!

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सच तो शिव है -शिव ही करता

नाग सरीखा संग-संग रहता

जिसके पास ये आभूषण हैं

ब्रह्म -अस्त्र ये- ताकत उसमे

पापी उसके पास न आयें

राहू-केतु से झूठे राक्षस

झूठें ही बस दौड़ डराएँ

खाने धाये !!

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सच इक आग है - शोला है ये

धधक रहा है चमक रहा है

उद्भव -पूजा हवन यज्ञं में

आहुति को ये गले लगाये

प्राणों को महकाता जाए

श्री गणेश -पावन कर जाये

भीषण ज्वाला - कभी नहीं जो बुझने वाला

लंका को ये जला जला कर

झूठी सत्ता- झूठ- जलाकर

अहम् का पुतला दहन किये है

सब कुछ भस्म राख कर देता

गंगा को सब किये समर्पित

मूड़ मुड़ाये सन्यासी सा

बिना सहारा-डटा खड़ा है !!

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सच ये कोई नदी नहीं है

जब चाहो तुम बाँध बना लो

ये अथाह है- सागर- है ये

गोता ला बस मोती ढूंढो

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सच ये भाई ना घर तेरा

जाति नहीं- ना धर्म है तेरा

जब चाहो भाई से लड़ -लड़

ऊँची तुम दीवार बना लो

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सच पंछी है मुक्त फिरे है

आसमान में -वन में -सर में

एकाकी -निर्जन-जीवन में

सच की महिमा के गुण गाये

कलरव करते विचरे जाए !!

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सच कोमल है फूल सरीखा

रंग बिरंगा हमें लुभाए

चुभते कांटे दर्द सहे पर

हँसता और हंसाता जाये

जीवन को महकाता जाये

अमर बनाये !!

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सच कठोर है -ये मूरति है

सच्चाई का दामन थामे

पूजे मन से जो -सुख जाने

यही शिला है यही हथौड़ा

मार-मार मूरति गढ़ता है

सुन्दर सच को आँक आँक कर

सच्चाई सब हमें दिखाता

आँखें फिर भी देख न पायें

या बदहवास जो सब झूंठलायें

ये पहाड़ फिर गिर कर भाई

चूर चूर सब कुछ कर जाए !!

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सुरेन्द्र कुमार शुक्ल भ्रमर

७.७.२०११ ६.२६ पूर्वाह्न जल पी बी

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