tag:blogger.com,1999:blog-2416936712435917704.post2964254887616354503..comments2023-10-24T03:35:55.549-07:00Comments on प्रतापगढ़ साहित्य प्रेमी मंच _ सुरेन्द्र कुमार शुक्ल भ्रमर 5: "दो रोटी" के खातिर अब तो "तिलक लगा" घर वाले भेजेंSURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR5http://www.blogger.com/profile/11163697127232399998noreply@blogger.comBlogger11125tag:blogger.com,1999:blog-2416936712435917704.post-39233002965820477772011-07-28T04:37:58.951-07:002011-07-28T04:37:58.951-07:00यस यम मासूम जी धन्यवाद आप का रचना पसंद आई -अभिनन्द...यस यम मासूम जी धन्यवाद आप का रचना पसंद आई -अभिनन्दन आप का हमारे इस ब्लॉग पर भी <br />भ्रमर ५SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR5https://www.blogger.com/profile/11163697127232399998noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2416936712435917704.post-30926692921576987092011-07-28T04:19:33.324-07:002011-07-28T04:19:33.324-07:00Badhia Panktiyan.
http://www.amankapaigham.com/20...Badhia Panktiyan. <br />http://www.amankapaigham.com/2011/07/blog-post_28.htmlS.M.Masoomhttps://www.blogger.com/profile/00229817373609457341noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2416936712435917704.post-34574735155338377512011-07-18T03:49:56.707-07:002011-07-18T03:49:56.707-07:00हरकीरत हीर जी हार्दिक अभिनन्दन और आभार दो रोटी की ...हरकीरत हीर जी हार्दिक अभिनन्दन और आभार दो रोटी की खातिर अब तो ..रचना मुम्बई ब्लास्ट पर आधारित है दर्द से भरी -दर्द से छटपटाते लोग कर्कश प्रहार तो करेंगे ही --आप का समर्थन मिला हर्ष हुआ <br />भ्रमर ५ <br />भ्रमर का दर्द और दर्पणSURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR5https://www.blogger.com/profile/11163697127232399998noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2416936712435917704.post-71767844053298812292011-07-18T03:48:17.946-07:002011-07-18T03:48:17.946-07:00सूर्यकांत गुप्ता जी हार्दिक अभिनन्दन और आभार दो रो...सूर्यकांत गुप्ता जी हार्दिक अभिनन्दन और आभार दो रोटी की खातिर अब तो ..रचना मुम्बई ब्लास्ट पर आधारित है दर्द से भरी --आप का समर्थन मिला हर्ष हुआ <br />भ्रमर ५ <br />भ्रमर का दर्द और दर्पणSURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR5https://www.blogger.com/profile/11163697127232399998noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2416936712435917704.post-59709696240401737362011-07-17T10:04:48.498-07:002011-07-17T10:04:48.498-07:00आप का बलाँग मूझे पढ कर अच्छा लगा , मैं भी एक बला...आप का बलाँग मूझे पढ कर अच्छा लगा , मैं भी एक बलाँग खोली हू<br />लिकं हैhttp://sarapyar.blogspot.com/<br /> <br />आपको मेरी हार्दिक शुभकामनायें.<br />अगर आपको love everbody का यह प्रयास पसंद आया हो, तो कृपया फॉलोअर बन कर हमारा उत्साह अवश्य बढ़ाएँ।<br />-- <br />haividhyahttps://www.blogger.com/profile/04419215415611575274noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2416936712435917704.post-71546009953678639082011-07-17T03:12:07.310-07:002011-07-17T03:12:07.310-07:00दो रोटी" के खातिर अब तो "तिलक लगा" ...दो रोटी" के खातिर अब तो "तिलक लगा" घर वाले भेजें<br /><br />बहुत ही तीखा व्यंग है आपकी रचनाओं में और गहरी पकड़ भी .....<br /><br />सार्थक अभिव्यक्ति .....!!हरकीरत ' हीर'https://www.blogger.com/profile/09462263786489609976noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2416936712435917704.post-4212398946540504152011-07-17T00:28:43.239-07:002011-07-17T00:28:43.239-07:00वर्तमान हालात बयां करती सुंदर रचना……आभार…।वर्तमान हालात बयां करती सुंदर रचना……आभार…।सूर्यकान्त गुप्ताhttps://www.blogger.com/profile/05578755806551691839noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2416936712435917704.post-62366866244814958562011-07-16T22:43:50.216-07:002011-07-16T22:43:50.216-07:00प्रिय अजय जी -अभिनन्दन है आप का -जो हमें न्याय नही...प्रिय अजय जी -अभिनन्दन है आप का -जो हमें न्याय नहीं दिला सकते जोखिम से बचा नहीं सकते पेट नहीं भर सकते उस सरकार का रहना न रहना व्यर्थ ही है समर्थन के लिए आभार <br />भ्रमर ५Surendra shukla" Bhramar"5https://www.blogger.com/profile/11124826694503822672noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2416936712435917704.post-66015689584468265712011-07-16T22:41:39.171-07:002011-07-16T22:41:39.171-07:00आदरणीय मनोज जी हार्दिक अभिनन्दन इस रचना में व्यक्त...आदरणीय मनोज जी हार्दिक अभिनन्दन इस रचना में व्यक्त आज भरे दर्द और मर्म को आप ने समझा समर्थन दिया धन्यवाद आप का काश हमारी सरकार भी होश में आती <br />भ्रमर ५Surendra shukla" Bhramar"5https://www.blogger.com/profile/11124826694503822672noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2416936712435917704.post-48690944461794535252011-07-16T22:16:13.327-07:002011-07-16T22:16:13.327-07:00जो तुम "तौल नहीं सकते सम"
गद्दी से - म...जो तुम "तौल नहीं सकते सम" <br /><br />गद्दी से - मूरख - उठ- जाओ !<br /><br />"हाथ" में अब भी कुछ ताकत तो <br /><br />"उसको" तुम फ़ौरन लटकाओ !!<br /><br /><br />पूर्ण सहमत ,सुंदर रचना ,बधाई।अजय कुमारhttps://www.blogger.com/profile/15547441026727356931noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2416936712435917704.post-20989651105403155542011-07-16T10:23:15.930-07:002011-07-16T10:23:15.930-07:00चिथड़े पड़े "खून" बिखरा है
"ह्रदय ...चिथड़े पड़े "खून" बिखरा है<br /><br />"ह्रदय विदीर्ण" हुआ देखे !<br /><br />आँखें नम हैं धरती भीगी<br /><br />"जिन्दा लाश" बने बैठे !!<br />भंवर जी, बहुत ही सशक्त अभिव्यक्ति।मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.com