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Sunday 22 April 2012

कैसे तुझे भुलाऊँ

MAA SAB MANGAL KAREN
तू यहाँ रहे या वहाँ रहे
जहां चाहे वहाँ रहे
कभी रूठी रहे
या  मान  जाए
पर बहारों का पर्याय है तू
मीठी यादों का बहाव है तू |
चेहरे की मुस्कुराहट  
अठखेलियाँ करती अदाएं
अंखियों  की कोर सजाता काजल
लगा माथे पर प्यारा सा डिठोना
किसी की नजर ना लग जाए |
तेरी नन्हीं बाहों की पकड़
कसती जाती थी
जब भी बादल गरजते थे
दामिनी दमकती थी
वर्षा की पहली फुहार
तुझे भिगोना चाहती  थी  |
आगे पीछे सारे दिन
मेरा पल्ला पकड़
इधर उधर तेरा घूमना
गोदी में आने की जिद करना
राह में हाथ फैला कर रुक जाना
बांहों  में आते ही मुस्कराना
जाने कितनी सारी बातें हैं
दिन रात मन में रहती हैं
कैसे उन्हें भुलाऊँ
तू क्या जाने
तू क्या है मेरे लिए |

6 comments:

रविकर said...

सुन्दर प्रस्तुति ।
आभार ।।

SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR5 said...

आदरणीय आशा जी वात्सल्य छलक पड़ा एक माँ ही समझ सकती है ये प्यारे अनमोल पल बच्चे उसकी जान हैं काश बच्चे भी माँ को अपने उन्ही आँखों में सजाये रखें ..
बधाई हो
भ्रमर ५

Smart Indian said...

बहुत सुन्दर!

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

बहुत भाव भरी रचना ...

Satish Saxena said...

यह अमूल्य है
शुभकामनायें आपको !

SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR5 said...

आदरणीय स्मार्ट इंडियन जी , सतीश जी और आदरणीय संगीता जी बहुत बहुत आभार आप सब का प्रोत्साहन हेतु -भ्रमर ५