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Friday, 9 April 2021

आज चांद का रंग कुछ बदला


आज चांद का रंग कुछ बदला , 
प्रिय ने शायद देख लिया ।
लाल तभी है मेरा मुखड़ा,  
नैन उतर दिल नेह किया ।।

सुरेन्द्र कुमार शुक्ल भ्रमर5



सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः

2 comments:

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल रविवार (11-04-2021) को   "आदमी के डसे का नही मन्त्र है"  (चर्चा अंक-4033)    पर भी होगी। 
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सत्य कहूँ तो हम चर्चाकार भी बहुत उदार होते हैं। उनकी पोस्ट का लिंक भी चर्चा में ले लेते हैं, जो कभी चर्चामंच पर झाँकने भी नहीं आते हैं। कमेंट करना तो बहुत दूर की बात है उनके लिए। लेकिन फिर भी उनके लिए तो धन्यवाद बनता ही है निस्वार्थभाव से चर्चा मंच पर टिप्पी करते हैं।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।    
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ-    
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सादर...! 
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' 
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SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR5 said...

हार्दिक आभार आप का शास्त्री जी, रचना आप के मन को छू सकी और चर्चा मंच पर आप ने इसे स्थान दिया खुशी हुई आभार