सतरंगी झिलमिल चुनरी सज
स्वर्णिम आभा कन्या आई
शंख बजी पूजा थाली, सब
करें आरती मातृ भवानी
जय मां जय हे शेरों वाली
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तेज पुंज नैनों से निकला
नव दुर्गा घर घर हैं प्रकटी
करुणा दया रौद्र रस छलका
सहमे डरे छुपे सब कपटी
जय मां जय हे शेरों वाली
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शान्त हृदय आराधन पूजन
नर नारी जो हैं शरणागत
दीप्ति आज उनके घर मंडप
अमृत वाणी हिय गंगा रस
जय मां जय हे शेरों वाली
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कुंकुम रोली रंग रंगोली
दीप सजे दीवाली होली
नौ दिन व्रत मन शुद्ध हृदय भी
खिले चेहरे दिल मां चौकी
जय मां जय हे शेरों वाली
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रक्त पुष्प गल माल सजाए
कोटि चन्द्र सी आभा वाली
शस्त्र सुसज्जित अनुपम छवि ले
संकट हरनी जय मां काली
जय मां जय हे शेरों वाली
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सुरेन्द्र कुमार शुक्ल भ्रमर 5
प्रतापगढ़ , उत्तर प्रदेश , भारत
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