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Tuesday, 6 April 2021

मुझको भी ले चल तू मुन्ना रंग बिरंगे सपनों में


नैन मूंद मत करे अकेला
मेरे जीवन का तू मेला
मुझको भी लेे चल तू मुन्ना
रंग बिरंगे सपनों में....

अंक भरूं मै चंदा मामा
सूरज चाचू को जल दे दूं
तारों संग कुछ कंचा खेलूं
नील गगन में सैर करूं
मुझको भी लेे चल तू मुन्ना......

परियों संग मै खेलूं कूदूं
सप्तऋषि संग वेद पढूं
परियों की जादुई छड़ी लेे
शक्तिमान बन खेल करूं
मुझको भी लेे चल तू मुन्ना.........

तितली बन मै फूल की घाटी
पर्वत चढ़ बादल से खेलूं
कामधेनु से मांग खिलौने
कल्पवृक्ष पे झूला झूलूं
मुझको भी लेे चल तू मुन्ना
रंग बिरंगे सपनों में....

नदियां सागर झील व झरने
हरे भरे जंगल में घूमूं
हाथी दादा हिरन मोर से
करूं दोस्ती सब सुख लेे लूं
मुझको भी लेे चल तू मुन्ना
रंग बिरंगे सपनों में....

गौरैया तोता बुलबुल संग
राजहंस बगुला संग उड़ लूं
ले प्यारे बच्चों की टोली
कान्हा संग मै माखन खाऊं
मुझको भी लेे चल तू मुन्ना
रंग बिरंगे सपनों में....

चलूं घुटुरुवन छुन्नुन छुन्नून
पैजनिया पैरन में पाऊं
उठूं गिरूं चीखूं चिल्ला के
मां की गोदी में छुप जाऊं
मुझको भी लेे चल तू मुन्ना
रंग बिरंगे सपनों में....

आंख बंद जब तू मुस्काए
तीन देव संग जग हंस जाए
अधर तुम्हारे जब रोने को
मातृ दे वियां सब दुलराएं
मुझको भी लेे चल तू मुन्ना.........

सुरेन्द्र कुमार शुक्ल भ्रमर 5
प्रतापगढ़, उत्तरप्रदेश, भारत



सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः

4 comments:

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (07-04-2021) को  "आओ कोरोना का टीका लगवाएँ"    (चर्चा अंक-4029)  पर भी होगी। 
--   
मित्रों! कुछ वर्षों से ब्लॉगों का संक्रमणकाल चल रहा है। परन्तु प्रसन्नता की बात यह है कि ब्लॉग अब भी लिखे जा रहे हैं और नये ब्लॉगों का सृजन भी हो रहा है।आप अन्य सामाजिक साइटों के अतिरिक्त दिल खोलकर दूसरों के ब्लॉगों पर भी अपनी टिप्पणी दीजिए। जिससे कि ब्लॉगों को जीवित रखा जा सके। चर्चा मंच का उद्देश्य उन ब्लॉगों को भी महत्व देना है जो टिप्पणियों के लिए तरसते रहते हैं क्योंकि उनका प्रसारण कहीं हो भी नहीं रहा है। ऐसे में चर्चा मंच विगत बारह वर्षों से अपने धर्म को निभा रहा है। 
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' 
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Surendra shukla" Bhramar"5 said...

बिल्कुल सच कहा आप ने शास्त्री जी, जब से फेस बुक पर साहित्यकार सक्रिय हुए और पेज भी वहां बनाने लगे ब्लाग को सजाने संवारने का काम रुक सा गया है , चर्चा मंच सराहना के योग्य है कम से कम इस दिन लोग एक दूजे के ब्लाग पर तो पहुंच कर कुछ रफ्तार देते हैं , आभार आप का मेरी रचना 'मुझको भी ले चल तू मुन्ना रंग बिरंगे सपनों में ' को स्थान देने के लिए, आभार और प्रणाम, राधे राधे

जितेन्द्र माथुर said...

मन को छू गई यह कविता। इतनी अच्छी लगी कि प्रशंसा के लिए उपयुक्त शब्द ही नहीं मिल रहे।

SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR5 said...

हार्दिक आभार आप का मित्र बहुत सुन्दर प्रतिक्रिया आप की, कृपया यूं ही उत्साह वर्धन करते रहें