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Sunday, 30 March 2014

सरदी ने पीठ दिखाई


 
मौसम ने ली अंगडाई 
सर्दी ने पीठ दिखाई 
धूप के तेवर बदले 
वे भी लगे बदले बदले 
पैर जलते धूप में 
पिधलता डम्बर
पक्की सड़क पर 
चलना दूभर होता 
घर के बाहर 
फिर भी कोई 
  काम न रुकता
 जीवन यूं ही चलता रहता |
आशा

सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः

2 comments:

सुशील कुमार जोशी said...

सुंदर !

Asha Lata Saxena said...

सुप्रभात
सूचना हेतु आभार सर |