AAIYE PRATAPGARH KE LIYE KUCHH LIKHEN -skshukl5@gmail.com
Tuesday, 20 April 2021
संगिनी हूं संग चलूंगी
Sunday, 18 April 2021
चंदा मामा कल ना आना
साजन का मुख तो दिखला दे
Saturday, 17 April 2021
फूला अब तो फल रहा विषाणु बनकर
Friday, 16 April 2021
जय मां जय हे शेरों वाली
Wednesday, 14 April 2021
प्रिय उर तपन बढ़ा री बदली
Sunday, 11 April 2021
झांक नैनों पढ़ रही हूं
Saturday, 10 April 2021
आई माई मेरी अम्मा है प्राण सी
Friday, 9 April 2021
आज चांद का रंग कुछ बदला
Thursday, 8 April 2021
कर सोलह श्रृंगार नटी ये
कर सोलह श्रृंगार नटी ये
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नीले नभ पे श्वेत बदरिया
मलयानिल मिल रूप आंकती
हिमगिरि पे ज्यों पार्वती मां
सुंदरता की मूर्ति झांकती
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शिव हों भोले ठाढे जैसे
बादल बड़े भयावह काले
वहीं सात नन्हे शिशु खेलें
ब्रह्मा विष्णु सभी सुख ले लें
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निर्झर झरने नील स्वच्छ जल
कल कल निनादिनी सरिता देखो
हरियाली चहुं ओर है पसरी
स्वर्ण रश्मि अनुपम छवि देखो
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कर सोलह श्रृंगार नटी ये
प्रकृति मोहती जन मन देखो
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श्वेत कबूतर ले गुलाब है
उड़ा आ रहा स्वागत कर लो
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फूल की घाटी तितली भौंरे
कलियों फूल से खेल रहे
खुशबू मादक सी सुगन्ध ले
नैन नशीले बोल रहे
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पंछी कुल है हमें जगाता
कलरव करते दुनिया घूमे
छलक उठा अमृत घट जैसे
अमृत वर्षा हर मुख चूमे
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हहर हहर तरू झूम रहे हैं
लहर लहर नदिया बल खाती
गोरी सिर अमृत घट लेकर
रोज सुबह आ हमे उठाती
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ओस की बूंदें मोती जैसे
दर्पण बन जग हमे दिखाती
करें खेल अधरो नैनों से
बड़ी मोहिनी हमे रिझाती
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कहीं नाचते मोर मोरनी
झंकृत स्वर हैं कीट पतंगे
रंग बिरंगी अद्भुत कृति की
शोभा निखरी किस मुंह कह दें
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मन कहता भर अनुपम छवि उर
नैन मूंद बस कुटी रमाऊं
स्नेह सिक्त मां तेरा आंचल
शिशु बन मै दुलराता जाऊं
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उठो सुबह हे! ब्रह्म मुहूरत
योग ध्यान से भरो खजाना
वीणा के सुर ताल छेड़ लो
क्या जाने कब लौट के आना ।
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सुरेन्द्र कुमार शुक्ल भ्रमर 5
प्रतापगढ़, उत्तर प्रदेश
भारत 8.4.2021