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Saturday, 14 June 2014

यह पड़ाव कब पार हो

28 अगस्त, 2011


यह पड़ाव कब पार हो


जीवन की लंबी डगर पर
देखे कई उतार चढ़ाव
अनेकों पड़ाव पार किये
फिर भी विश्वास अडिग रहा |
कभी हार नहीं मानी
जीवन लगा न बेमानी
जटिल समस्याओं का भी
सहज निदान खोज पाया |
आशा निराशा के झूले में
भटका भी इधर उधर
कभी सफलता हाथ लगी
घर असफलता ने घेरा कभी |
अनेकों बार राह भूला
फिर उसे खोज आगे बढ़ा
ऊंची नींची पगडंडी पर
जीवन यूँ ही चलता रहा |
जीवन इतना दूभर होगा
इस अंतिम पड़ाव पर
 कभी सोचा न था
ना ही कल्पना की इसकी |
आज हूँ उदास ओर बेचैन
यह राह कब समाप्त हो
कर रहा हूँ इन्तजार
यह पड़ाव कब पार हो |

आशा
सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः

5 comments:

Unknown said...

मार्मिक रचना।

Asha Lata Saxena said...

धन्यवाद सुशील जी

Asha Lata Saxena said...

धन्यवाद स्मिता जी |

SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR5 said...

सुन्दर रचना आशा जी ..आशा ही जीवन है निराश नहीं होना है सारे पड़ाव एक एक कर यूं ही पार हो जाएंगे
भ्रमर ५

Asha Lata Saxena said...

धन्यवाद सुरेन्द्र जी टिप्पणी हेतु |