जीवन की लंबी डगर पर
देखे कई उतार चढ़ाव
अनेकों पड़ाव पार किये
फिर भी विश्वास अडिग रहा |
कभी हार नहीं मानी
जीवन लगा न बेमानी
जटिल समस्याओं का भी
सहज निदान खोज पाया |
आशा निराशा के झूले में
भटका भी इधर उधर
कभी सफलता हाथ लगी
घर असफलता ने घेरा कभी |
अनेकों बार राह भूला
फिर उसे खोज आगे बढ़ा
ऊंची नींची पगडंडी पर
जीवन यूँ ही चलता रहा |
जीवन इतना दूभर होगा
इस अंतिम पड़ाव पर
कभी सोचा न था
ना ही कल्पना की इसकी |
आज हूँ उदास ओर बेचैन
यह राह कब समाप्त हो
कर रहा हूँ इन्तजार
यह पड़ाव कब पार हो |
आशा
5 comments:
मार्मिक रचना।
धन्यवाद सुशील जी
धन्यवाद स्मिता जी |
सुन्दर रचना आशा जी ..आशा ही जीवन है निराश नहीं होना है सारे पड़ाव एक एक कर यूं ही पार हो जाएंगे
भ्रमर ५
धन्यवाद सुरेन्द्र जी टिप्पणी हेतु |
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