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Tuesday, 30 April 2013

बालश्रमिक

सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः


बाल श्रमिक

तपती धूप , दमकते चहरे ,
श्रमकण जिनपर गए उकेरे ,
काले भूरे बाल सुनहरे ,
भोले भाले नन्हे चेहरे ,
जल्दी जल्दी हाथ चलाते ,
थक जाते पर रुक ना पाते ,
उस पर भी वे झिड़के जाते ,
सजल हुई आँखे , पर हँसते ,
मन के टूटे तार लरजते |
आशा

7 comments:

Tamasha-E-Zindagi said...

आपको यह बताते हुए हर्ष हो रहा है के आपकी यह विशेष रचना को आदर प्रदान करने हेतु हमने इसे आज के (१ मई, २०१३, बुधवार) ब्लॉग बुलेटिन - मज़दूर दिवस जिंदाबाद पर स्थान दिया है | बहुत बहुत बधाई |

Jyoti khare said...


मजदूरों के जीवन को सच्ची तौर पर बयां करती रचना
मजदूर दिवस पर सार्थक
उत्कृष्ट प्रस्तुति


विचार कीं अपेक्षा
आग्रह है मेरे ब्लॉग का अनुशरण करें
jyoti-khare.blogspot.in
कहाँ खड़ा है आज का मजदूर------?

अरुणा said...

सही समय पर बहुत सही विषय उठाया अओने ..........कटु सत्य ...

Unknown said...

बहुत सुन्दर आदरेया! बधाई आपको इस सुन्दर रचना के लिए!
Please visit-
http://voice-brijesh.blogspot.com

Asha Lata Saxena said...

आपसब को टिप्पणी हेतु आभार | आशा

Surendra shukla" Bhramar"5 said...

आदरणीया आशा जी सटीक और सत्य को बयान करती रचना काश बच्चों के प्रति हम नर्म और प्यार भरा रुख रखें
तो आनंद और आये
भ्रमर ५

Surendra shukla" Bhramar"5 said...

आदरणीय ज्योति जी , वृजेश जी, अरुणा जी आप सब का प्रोत्साहन के लिए अभिनंदन और आभार
भ्रमर ५