सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः
बाल श्रमिक
तपती धूप , दमकते चहरे ,
श्रमकण जिनपर गए उकेरे ,
काले भूरे बाल सुनहरे ,
भोले भाले नन्हे चेहरे ,
जल्दी जल्दी हाथ चलाते ,
थक जाते पर रुक ना पाते ,
उस पर भी वे झिड़के जाते ,
सजल हुई आँखे , पर हँसते ,
मन के टूटे तार लरजते |
आशा
7 comments:
आपको यह बताते हुए हर्ष हो रहा है के आपकी यह विशेष रचना को आदर प्रदान करने हेतु हमने इसे आज के (१ मई, २०१३, बुधवार) ब्लॉग बुलेटिन - मज़दूर दिवस जिंदाबाद पर स्थान दिया है | बहुत बहुत बधाई |
मजदूरों के जीवन को सच्ची तौर पर बयां करती रचना
मजदूर दिवस पर सार्थक
उत्कृष्ट प्रस्तुति
विचार कीं अपेक्षा
आग्रह है मेरे ब्लॉग का अनुशरण करें
jyoti-khare.blogspot.in
कहाँ खड़ा है आज का मजदूर------?
सही समय पर बहुत सही विषय उठाया अओने ..........कटु सत्य ...
बहुत सुन्दर आदरेया! बधाई आपको इस सुन्दर रचना के लिए!
Please visit-
http://voice-brijesh.blogspot.com
आपसब को टिप्पणी हेतु आभार | आशा
आदरणीया आशा जी सटीक और सत्य को बयान करती रचना काश बच्चों के प्रति हम नर्म और प्यार भरा रुख रखें
तो आनंद और आये
भ्रमर ५
आदरणीय ज्योति जी , वृजेश जी, अरुणा जी आप सब का प्रोत्साहन के लिए अभिनंदन और आभार
भ्रमर ५
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