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Tuesday, 5 June 2012

एक छोटी सी गली


जीवन के कई रंग देखे 
इस छोटी सी गली में 
भिन्न-भिन्न लोग देखे
इस सँकरी सी गली में |
प्रातःकाल भ्रमण करते 
बुजुर्ग दिखाई देते हैं
जाना पहचाना हो 
या हो अनजाना
हरिओम सभी से कहते हैं !
जैसे ही धूप चढ़ती है
सभी व्यस्त हो जाते हैं
कोई होता तैयार
ऑफिस जाने के लिये
तो कोई बैठा पेपर पढ़ता
हाथ में गर्म चाय का प्याला ले
बच्चों की दुनिया है निराली
करते शाला जाने की तैयारी
आधे अधूरे मन से
किसी का जूता नहीं मिलता
तो किसी का बस्ता खो जाता
फिर भी नियत समय पर
ऑटो वाला आ जाता
इतना शोरशराबा होता
तब कोई काम ना हो पाता
फिर भी जीने के अंदाज का
अपना ही नजारा होता |
भरी दोपहर में काम समाप्त कर
जुड़ती पंचायत महिलाओं की
करती रहतीं सभी वकालत
अपने अपने अनुभवों की !
है विशिष्ट बात यहाँ की 
हर धर्म के लोग यहाँ रहते हैं 
इस छोटी सी तंग गली में 
सभी धर्म पलते हैं \
अनेकता में एकता क़ी 
अद्भुत मिसाल दिखते हैं |
सारे त्यौहार यहाँ मनते हैं \
मीठा मुँह सभी करते हैं 
अगर कोई समस्या आये 
सभी सहायता करते हैं |
हिलमिल कर रहते हैं सभी 
छोटा भारत दिखते हैं 
यथोचित सम्मान सभी का 
सभी लोग करते हैं
है तो यह छोटी सी गली 
पर राखी, ईद, दिवाली, होली 
सभी यहाँ मनते हैं |
आशा
सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः

6 comments:

Sadhana Vaid said...

बहुत खूबसूरत दृश्य दिखाया है आपने मिनी भारत का ! हमारे देश के छोटे छोटे शहरों के गलियों की बिलकुल यही तस्वीर होती है ! बहुत सुन्दर शब्द चित्र खींचा है आपने ! बधाई एवं शुभकामनाएं !

Anonymous said...

यही गलियाँ हमारी सभ्यता की असली पहचान हैं .अच्छा चित्र खींचा है आपने.
शुभकामनायें एवं बधाई .

Satish Saxena said...

यह गली बेहद महत्वपूर्ण है ...
आभार आपका इस परिचय के लिए !

Asha Lata Saxena said...

आप लोगों ने इसे पसंद किया बहुत अच्छा लगा |ऐसा ही स्नेह बनाए रखें

SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR5 said...

आदरणीया आशा जी ये रंग बिरंगी प्यारी संस्कृति इस गली मोहल्ले की यों ही बनी रहे ये सपना सच में मूर्त रूप ले बढ़ता रहे ....सुन्दर ...जय हिंद जय भारत
भ्रमर ५

SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR5 said...

आदरणीया साधना जी , लता जी और आदरणीय सतीश जी आप सब का बहुत बहुत धन्यवाद अपना प्रोत्साहन बनाये रखें
आभार
भ्रमर ५