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Sunday 21 August 2011

कलयुग है या भ्रष्टतंत्र है तानाशाही-अत्याचार???

कलयुग है या भ्रष्टतंत्र है

तानाशाही-अत्याचार???

चार जमा कर स्विस में बैठे

भूखे मरें हजार .................



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चक्की में जो पिसे लोग हैं

अब चक्की पर चढ़ बैठे !

लिए हथौड़ा छेनी संग में

कितनी मूर्ति ---गढ़ बैठे !!




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जला -"दिया" है -पूंछ सुलगती

कभी धमाका हो सकता !

अंधियारे में डींग हांकती

सोयी बैठी है सरकार !!

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इतने दिन में ना लिख पाओ

"रामायण" कोई बात नहीं

राम से मिल के चरण पकड़ के

राम कथा के नीति नियम -

"कुछ "- लगे लगा लो बात बने !!

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रावण सा तुम अहं भरो ना

समय चक्र चलता है -"काल"

मन में मैल भरी जो धो लो

आँखों से पट्टी तो खोलो

गांधारी- धृत राष्ट्र- बनो ना

कौरव -तेरे ना टिक पायें

"पांच" पांडव- हैं दमदार !!

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पत्थर ढोती वानर सेना

पुल भी कभी बना सकती

ले मशाल जो बढ़ निकली है

लंका- आग लगा सकती !!

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पास विभीषण हैं तेरे भी

कुछ मंदोदरी भी हैं बैठी

उनकी भी कुछ बात सुनो हे !

दंभ भरो ना हे पाखंडी !!

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(सभी फोटो गूगल /नेट/याहू से साभार )

शुक्ल भ्रमर ५

१०.२० मध्याह्न जल पी बी

२०.०८.२०११



दे ऐसा आशीष मुझे माँ आँखों का तारा बन जाऊं

DE AISA AASHISH MUJHE MAA AANKHON KA TARA BAN JAOON

2 comments:

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

ओज पूर्ण और सार्थक सन्देश देती अच्छी रचनाएँ

S.M.HABIB (Sanjay Mishra 'Habib') said...

चक्की में जो पिसे लोग हैं
अब चक्की पर चढ़ बैठे !
लिए हथौड़ा छेनी संग में
कितनी मूर्ति ---गढ़ बैठे !!

शानदार रचना...
सादर बधाईयाँ