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Sunday 15 July 2012

संशय

 
नभ में कितने तारे रोज़ निकलते हैं
कौन सितारा मुझको राह दिखायेगा ,
किसकी ज्योति करेगी मेरा पथ उजला
कौन पकड़ कर हाथ पार ले जायेगा !

उपवन में नित कितनी कलियाँ खिलती हैं ,
किसका सौरभ जीवन को महकायेगा ,
किसकी सुषमा अंतर सुन्दर कर देगी
किसका पारस परस प्राण भर जायेगा !

नदिया में नित कितनी लहरें उठती हैं
मन की पीड़ा कौन बहा ले जायेगी ,
सदियों से प्यासे इस मेरे तन मन को
अपने अमृत से प्लावित कर जायेगी !

दूर गगन में कितने पंछी उड़ते हैं
कौन लौट कर वापिस घर को आयेगा ,
किसके पंखों की धीमी आहट सुन कर
बूढ़ी माँ का हृदय धीर पा जायेगा !

कितने संशय मन में घर कर जाते हैं
कितने प्रश्नों से अंतर अकुलाता है ,
है वह आखिर एक कौन सा पल ऐसा    
जिसमें मन का हर उत्तर मिल जाता है ! 

साधना वैद
   



सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः

4 comments:

Asha Lata Saxena said...

बेहद भावपूर्ण और सशक्त रचना |'वह कौनसा पल ऐसा ------हर उत्तर मिल जाता है '
बहुत सुन्दर पंक्तियाँ |
आशा

Surendra shukla" Bhramar"5 said...

आदरणीया जब तक साँसे हैं कहाँ उत्तर मिल पाता है हमारे इन सभी प्रश्नों का ..गहन अभिव्यक्ति गूढ़ भाव वाली प्यारी रचना ....बधाई
कौन लौट कर वापिस घर को आएगा
किसके पंखों के धीमी आहत सुन कर
बूढी माँ का ह्रदय धीर पा जायेगा ....बहुत सुन्दर पंक्ति...काश लोग इस को सफल कर दें ...
भ्रमर ५

Surendra shukla" Bhramar"5 said...

आदरणीया आशा जी अभिवादन ..अपना स्नेह और प्रोत्साहन बनाये रखें ..बहुत सुन्दर रचना साधना जी की है ही ये
भ्रमर ५

SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR5 said...

आदरणीया जब तक साँसे हैं कहाँ उत्तर मिल पाता है हमारे इन सभी प्रश्नों का ..गहन अभिव्यक्ति गूढ़ भाव वाली प्यारी रचना ....बधाई
कौन लौट कर वापिस घर को आएगा
किसके पंखों के धीमी आहत सुन कर
बूढी माँ का ह्रदय धीर पा जायेगा ....बहुत सुन्दर पंक्ति...काश लोग इस को सफल कर दें ...
भ्रमर ५