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Tuesday 30 April 2013

बालश्रमिक

सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः


बाल श्रमिक

तपती धूप , दमकते चहरे ,
श्रमकण जिनपर गए उकेरे ,
काले भूरे बाल सुनहरे ,
भोले भाले नन्हे चेहरे ,
जल्दी जल्दी हाथ चलाते ,
थक जाते पर रुक ना पाते ,
उस पर भी वे झिड़के जाते ,
सजल हुई आँखे , पर हँसते ,
मन के टूटे तार लरजते |
आशा

Thursday 25 April 2013

आधा तीतर आधा बटेर

जाग जाग रातें  काटीं
मुश्किलें  किसी से न बांटीं
कभी खोया -खोया रहा
कभी जार जार रोया
कठिनाइयां बढती गईं
कमीं उनमें न आई
सुबह और शाम
  मंहगाई का बखान
रात  में आते
स्वप्न में भी गरीबी
फटे कपडे और उधारी
वह बेरोजगार डिग्री धारी
हाथ  न मिला पाया
भ्रष्टाचार  के दानव से
सोचता दिन रात
जाए तो जाए कहाँ
वह कागज़ का टुकड़ा
मजदूरी भी करने न देता
जब  भी लाइन में लगा
कहा गया "जाओ बाबू
यह  तुम्हारे बस  का नहीं
क्यूँ  की तुम
 आम आदमीं नहीं "
इस डिग्री ने तो कहीं का न छोड़ा
ना ही कुछ बन पाया
ना ही आम आदमीं से जुड़ा
आधा तीतर आधा बटेर
मात्र बन कर रह गया
मन में बहुत ग्लानी हुई
समाधान समस्या का नहीं
यह कैसे समझाए की
वह भी है एक आम आदमीं
कर्ज के बोझ से दबा है
इस डिग्री के लिए
जो अभी तक चुका नहीं
तभी तो  काम की तलाश में
दर दर भटक रहा है |
आशा


सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः