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Tuesday, 20 April 2021

संगिनी हूं संग चलूंगी


संगिनी हूं संग चलूंगी
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जब सींचोगे
पलूं बढूंगी
खुश हूंगी मै
तभी खिलूंगी
बांटूंगी
 अधरों मुस्कान
मै तेरी पहचान बनकर
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वेदनाएं भी
 हरुंगी
जीत निश्चित 
मै करूंगी
कीर्ति पताका
मै फहरूंगी
मै तेरी पहचान बनकर
*********
अभिलाषाएं 
पूर्ण होंगी
राह कंटक
मै चलूंगी
पाप पापी
भी दलूंगी
संगिनी हूं
संग चलूंगी
मै तेरी पहचान बनकर
*********
ज्योति देने को
जलूंगी
शान्ति हूं मैं
सुख भी दूंगी
मै जिऊंगी
औ मरूंगी
पूर्ण तुझको
मै करूंगी
सृष्टि सी 
रचती रहूंगी
सर्वदा ही
मै तेरी पहचान बनकर
**********
सुरेन्द्र कुमार शुक्ल भ्रमर5
प्रतापगढ़, उत्तर प्रदेश ,
भारत


सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः

2 comments:

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

बहुत सुन्दर।
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श्री राम नवमी की हार्दिक शुभकामनाएँ।
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मित्रों पिछले तीन दिनों से मेरी तबियत ठीक नहीं है।
खुुद को कमरे में कैद कर रखा है।

Surendra shukla" Bhramar"5 said...

आप सब को भी रामनवमी की ढेर सारी हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई आप शीघ्र स्वस्थ होंगे जय श्री राधे