सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः
नया वर्ष स्वागत करता है , पहन नया परिधान ।
सारे जग से न्यारा अपना , है गणतंत्र महान ॥
कल-कल-छल-छल बहती धारा ,
सारे जग से ये उजियारा ।
आन -बान और शान हमारी -
संविधान हम सबको प्यारा ।
कल-कल-छल-छल बहती धारा ,
सारे जग से ये उजियारा ।
आन -बान और शान हमारी -
संविधान हम सबको प्यारा ।
प्रजातंत्र पर भारत वाले करते हैं अभिमान ।
सारे जग से न्यारा अपना , है गणतंत्र महान ॥
शीश मुकुट हिमवान अचल है ,
कितना सुंदर ताजमहल है ।
गंगा - यमुना और सरयू का -
पग पखारता पावन जल है ।
प्राणों से भी मूल्यवान है हमको हिन्दुस्तान ।
सारे जग से न्यारा अपना , है गणतंत्र महान ॥
स्वर भर कर इतिहास सुनाता ,
महापुरुषों से इसका नाता ।
गौतम , गांधी , दयानंद की ,
प्यारी धरती भारतमाता ।
यहाँ हुए हैं पैदा नानक , राम , कृष्ण , भगवान ।
सारे जग से न्यारा अपना , है गणतंत्र महान ॥
शीश मुकुट हिमवान अचल है ,
कितना सुंदर ताजमहल है ।
गंगा - यमुना और सरयू का -
पग पखारता पावन जल है ।
प्राणों से भी मूल्यवान है हमको हिन्दुस्तान ।
सारे जग से न्यारा अपना , है गणतंत्र महान ॥
स्वर भर कर इतिहास सुनाता ,
महापुरुषों से इसका नाता ।
गौतम , गांधी , दयानंद की ,
प्यारी धरती भारतमाता ।
यहाँ हुए हैं पैदा नानक , राम , कृष्ण , भगवान ।
सारे जग से न्यारा अपना , है गणतंत्र महान ॥
3 comments:
बहुत बढ़िया |
आभार गुरूजी ||
आपकी उत्कृष्ट प्रस्तुति शुक्रवार के चर्चा मंच पर ।।
आदरणीय शास्त्री जी बहुत सुन्दर ...शत शत नमन इस पूज्य पावन भारत भू को तथा इस के प्यारे दुलारे लोगों को
आइये इसे संवारें
सुन्दर रचना ....नेता जी को शत शत नमन ....आप का बहुत बहुत आभार ...
जय श्री राधे
भ्रमर 5
Post a Comment