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Tuesday, 25 September 2012

बेटी

बेटी अजन्मी सोच रही 
क्यूँ  उदास माँ दिखती है 
जब  भी कुछ जानना चाहूँ 
यूँ  ही टाल देती है|
रह ना पाई कुलबुलाई 
समय देख प्रश्न  दागा 
क्या  तुम मुझे नहीं चाहतीं 
मेरे  आने में है दोष क्या 
क्यूँ  खुश दिखाई नहीं देतीं ?
 माँ  धीमे से मुस्कुराई 
पर  उदासी न छिपा पाई 
बेटी  तू यह नहीं जानती 
सब  की चाहत है बेटा 
जब  तेरा आगमन होगा 
सब  से मोर्चा   लेना होगा 
यही  बात चिंतित करती 
मन  में उदासी भरती |
जल्दी  से ये दिन बीते 
खिली  रुपहली धूप 
आज  मेरे आँगन में 
गूंजी  तेरी किलकारी 
इस  सूने उपवन में
मिली  खुशी अनूप 
तुझे  पा लेने में |
देखा  सोच बदलता मैनें 
अपने  ही घर में |
कितना  सुखमय है जीवन 
आज  में जान पाई 
रिश्तों  की गहराई 
यहीं  नजर आई |
तेरी  नन्हीं बाहों की उष्मा
और प्यार भरी सुन्दर अँखियाँ 
स्वर्ग कहीं से ले  आईं 
मेरे  मुरझाए जीवन में |
आशा
सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः

7 comments:

Surendra shukla" Bhramar"5 said...

जब तेरा आगमन होगा
सब से मोर्चा लेना होगा
यही बात चिंतित करती
मन में उदासी भरती |
जल्दी से ये दिन बीते
खिली रुपहली धूप
आज मेरे आँगन में
गूंजी तेरी किलकारी
बेटियों के प्रति सजग करती प्यारी रचना , माँ कब डरी है डरना नहीं होगा जितना भी मोर्चा लेना पड़े लेना ही होगा समझाना होगा ये समाज बचाना होगा ही ...
सुन्दर
जय श्री राधे
भ्रमर ५

SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR5 said...

जब तेरा आगमन होगा
सब से मोर्चा लेना होगा
यही बात चिंतित करती
मन में उदासी भरती |
जल्दी से ये दिन बीते
खिली रुपहली धूप
आज मेरे आँगन में
गूंजी तेरी किलकारी
इस सूने उपवन में
मिली खुशी अनूप


बेटियों के प्रति सजग करती प्यारी रचना , माँ कब डरी है डरना नहीं होगा जितना भी मोर्चा लेना पड़े लेना ही होगा समझाना होगा ये समाज बचाना होगा ही ...
सुन्दर
जय श्री राधे
भ्रमर ५

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

किलकारी की गूँज सुनाती,
परिवारों को यही बसाती।
नारी नर की खान रही है,
जन-जन का अरमान रही है।
बिटिया की महिमा अनन्त है।
बिटिया से घर में बसन्त है।।

Surendra shukla" Bhramar"5 said...

आदरणीय शास्त्री जी बेटियों के मान में ये जो रचा आप ने काविले तारीफ़ है , आशा जी को एक बार फिर मुबारक
भ्रमर ५

Asha Joglekar said...

बहुत सुंदर कोमल भावना लिये प्यारी प्यारी बेटी सी कविता ।

SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR5 said...

आदरणीया आशा जी आप का बहुत बहुत आभार ..बेटियों का स्वागत होगा तभी इस समाज में संतुलन होगा और संस्कृति में सामंजस्य भी ..प्रयास जारी रहे
आभार
भ्रमर ५

Asha Lata Saxena said...

अपनी बेवाक राय के लिए आप सब का आभार |
आशा