AAIYE PRATAPGARH KE LIYE KUCHH LIKHEN -skshukl5@gmail.com

Wednesday 8 August 2012

कान्हां


द्वापर में भादों के महीने में
काली अंधेरी रात में
जन्म लिया कान्हा ने
मथुरा में कारागार के कक्ष में |
था दिवस चमत्कारी
सारे बंधन टूट गए
द्वार के ताले स्वतः खुले
जाने का मार्ग प्रशस्त हुआ |
बेटे को बचाने के लिए
गोकुल जाने के लिए
वासुदेव ने जैसे ही
जल में पैर धरा
जमुना की श्रद्धा ऐसी जागी
बाढ आ गई नदिया में |
बाहर पैर आते ही
कान्हा के पैरों को पखारा
जैसें ही छू पाया उन्हें
अद्भुद शान्ति छाई जल में |
सारा गोकुल धन्य हो गया
कान्हा को पा बाहों में
गोपिया खो गईं
मुरली की मधुर धुन में |
बंधीं प्रेम पाश में उसके
रम कर रह गईं उसी में
ज्ञान उद्धव का धरा रह गया
उन को समझाने में |
वे नहीं जानती थीं उद्देश्य
कृष्ण के जाने का
कंस के अत्याचारों से
सब को बचाने का |
अंत कंस का हुआ
सुखी समृद्ध राज्य हुआ
कौरव पांडव विवाद मैं
मध्यस्थ बने सहायता की |
सच्चाई का साथ दिया
युद्ध से विचलित अर्जुन को
गीता का उपदेश दिया
आज भी है महत्त्व जिसका |
जन्म दिन कान्हा का
हर साल मनाते हैं
श्रद्धा से भर उठाते हैं
जन्माष्टमी मनाते हैं |
आशा

2 comments:

SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR5 said...

आदरणीया आशा जी प्रभु कान्हा की लीला का सुन्दर बखान सब को मस्त मौला बनाने वाले प्यारे कन्हैया लाल की सदा ही जय हो ..
कृष्ण जन्माष्टमी की आप सपरिवार और सभी मित्र मण्डली को हार्दिक बधाई
भ्रमर ५

Asha Lata Saxena said...

धन्यवाद