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Thursday 8 December 2011

ईमानदारी का मोल दो

ईमानदारी का मोल दो

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इस दधीचि की हड्डी को

आकृति बना दो

पेट भर दो- खून भर दो

सूर्य से जो ये दमकें इन का तेज देखो

रोटी -कपड़ा और मकान का

ब्रांड अम्बेसडर बनाएं

अग्नि पृथ्वी रक्षा कवच में

ईमान की हम भर्ती कराएं

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ईमानदारी का मोल दो

हीरे जवाहरात सा तोल दो

मान दो सम्मान दो

जी भर के इनको प्यार दो

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उच्च सिंहासन इन्हें आसीन कर दो

मुख्य रथ की बागडोर हो

अनुशासन की चाबुक या हो

उन गरीबों को खिलाएं

सड़कें बनायें पुल बनाएं

ऐसे प्यारे इनको सारा काम दो

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बेटियों का व्याह कर दें

जुर्म की आंधी मिटा दें

अनपढ़ विचारे आज भी जो

दो लात-पा दुत्कार खाएं

उनको सम्मान का हम मुकुट पहनाएं

ऐसे प्यारे कल से इनको काम दे दो !

बेलगाम घोड़े हैं जो कुचले सभी को

उन पर ये लगाम लगाएं

अच्छा बुरा उनको सिखाएं

मंच पर केवल चढ़ें ये "प्रिय" हमारे

दे दें तमगा रत्न-भारत -पद्मभूषण

उन सभी को जो हों न्योछावर

धरा को स्वर्ग करने में लगे हों

जो हों मानव- बोते मानवता यहाँ पर

लहलहाए जिनके कर को छू ये फसलें

सोना उगले

सोने चिड़िया बन के फुदके

दूध की नदिया के सपने

आओ प्यारे फिर संजो लें

सब चलो ये मिल के मांगें

झंडे ले के गीत गायें

“ईमानदारी” का मोल दे दो

प्यार बो- दो -प्यार बांटो

“ईमानदारी” का मोल दे दो

प्यार बो-दो -प्यार बांटो !!

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शुक्ल भ्रमर .१२.२०११ .१५-.५८ पूर्वाह्न

यच पी

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