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Monday 17 October 2011

“घाव ” बना नासूर -भ्रमर -हिंदी पोएम

घाव बना नासूर -भ्रमर -हिंदी पोएम .

छोटी सी एक ,

सुई चुभी थी ,

आज बना वोघाव ”,

कुछ दिनघाव ” –

को यूं ही छोड़ा ,

उससे रहतादूर ,

इस दुनिया की ,

कीचर मिटटी ,

जहर -विषैले ,

लगते -लगते ,

खून टपकता ,

घाव ’’ हुआ नासूर .

अब चाहूँ मै ,

साफ़ करूँ नित ,

डॉक्टरवैद्य

दिखाऊँ - या

जाऊं मै -गंगाजल

ला खूब इसे नहलावुं ,

सडा गला ये ,

घाव तुम्हारा ,

तेरा साथ देगा ,

लोग कहें -डॉक्टर

संग बोलेंकाट -

फेंक दोइसको .

तुमको और अगर -

है जीना

बाकीअंग बचाना ,

जल्दी से तुम निर्णय

ले लो -बाद नहीं -

पछताना .

कैसे अपना ,

अंग काट दूं ,

मेरा कितना प्यारा ,

बोझिल मन -न -

निर्णय करता

कोर्ट कचेहरी

से भी डरता -

बिना आज्ञा - या

सलाह बिन ,

अनुचित ’ –

काम -न -करना -

सीखा -फिर भी

कितनाजीना मुश्किल

देख रहाअब सीखा .

सुरेन्द्रशुक्लाभ्रमार .

11.30 पूर्वाह्न जल (पब )17.10.2011

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