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Monday, 13 June 2011

कुत्ता !! - सांप उन्हें ना काटे


जब जब कोई नेता या

भूला भटका-अधिकारी आता

गाँव गली की सैर वो करने

शहर कभी जब ऊब भागता

अम्मा अपना लिए पुलिंदा

गठरी लिए पहुँचती धम से

देखो साहब ! अब आये हो

क्या करने ?? जब बुधिया मर गयी !

झुग्गी उसकी जली साल से

भूखे कुढ़ कुढ़ के मरती थी

बच्चे नंगे घूम रहे हैं

खेत पे कब्ज़ा "उसने" की है

पटवारी भी कल आया था

भरी जेब फिर फुर्र हुआ था

पुलिस -सिपाही थाने वाले

"वहीँ" बैठ पी जाते पानी !!

थोडा खेत बचा भी जिसमे

मेहनत कर -कर वो मरती थी

"नील-गाय " ने सब कुछ खाया

मेड काटते --मारे -कोई

काट- काट- चक-रोड मिलाये

सूखे- हरे पेड़- जो कुछ थे

होली- में उसने कटवाये

प्राइमरी का सूखा नल है

बच्चे- प्यासे गाँव -भटकते

सुन्दर 'सर' जो कल बनवाया

टूटी सीढ़ी -सभी -धंसा है

रात में बिजली भी ना आती

साँप लोटते घर आँगन

अस्पताल की दवा है नकली

कोई डाक्टर- नर्स नहीं है

दो दिन -दर्शन कर के जाते -

कुत्ता - सांप उन्हें ना काटे

कितना - क्या मै गठरी खोलूं ??

या जी भर बोलो - मै- रो लूं

अधिकारी बस आँख दिखाता

हाथ जोड़ ले जा फुसलाता

नेता जी भी उठ- कर - जोरे

मधुर वचन मुस्काते बोले !

अम्मा !! अब मै यहीं रहूँगा

इसी क्षेत्र से फिर आऊँगा

अब की सब मिल अगर जिताए !

कभी ये फिर दर्द सताए !!

जीतूँगा दिल्ली जाऊँगा

प्रश्न सभी मै वहां उठाऊँ !

अगर पा गया उत्तर सब का

तो फिर प्रश्न रहे कैसे माँ ????

अब जाओ तुम मडई अपनी !

पानी -टंकी-सडक -गली की

चिंता सब हम को है करनी !!

मुँह बिचका नेता ने देखा

अधिकारी को उल्टा’- ठोंका

इसे रोंक ना सकते - मुरदों

दरी बिछाए”- बैठे -गुरगों

अगली बार जो बुढ़िया आई

मै तेरी फिर करूँ दवाई !

याद तुझे आएगी नानी

सुबह दिखेगा काला पानी !!!

सुरेन्द्र कुमार शुक्ल भ्रमर ५

13.06.2011

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