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Friday, 17 June 2011

और फिर हम मारे मारे भटकने लगे-हमारी सरकार पर पूरा भरोसा है

सूरज निकला दिन चढ़ आया

और फिर हम मारे मारे भटकने लगे

विकासशील देश है हमारा

यहाँ सब कुछ न्यारा न्यारा

कोई चाहे लोक पाल

कोई बना दे जोक पाल

हम स्वतंत्र हैं

चुनी हुयी सरकार है हमारी

स्वतंत्र

दुनिया से हमें क्या ---

दुनिया को हमसे क्या ??










मेरी अलग ही दुनिया है

उधर शून्य में सब हैं मेरे

प्यारे बे इन्तहा प्यार करने वाले -

मुझसे लड़ने वाले -

मेरा घर परिवार

एक अनोखा संसार

नहीं यहाँ कोई हमारा परिवार

न हमारी कोई सरकार !!















मुझसे अभी दुनिया से क्या लेना देना मेरी अम्मी है न

-मै तो यूं ही झूला झूलता सोता रहूँगा

-अभी तो हाथ भी नहीं फैलाऊंगा

हमारी सरकार पर हमें पूरा भरोसा है

मेरी माँ जब बच्ची थी

वो भी यही कहती थी

मै भी बड़ा हो रहा हूँ

आँख खोलने को मन नहीं करता

कौन कहता है भुखमरी फैलाती है

गोदामों में अन्न जलाती और सड़ाती है

हमारी सरकार….. ???


शुक्ल भ्रमर ५


१७.६.11



दे ऐसा आशीष मुझे माँ आँखों का तारा बन जाऊं

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