प्रतापगढ़ साहित्य प्रेमी मंच -BHRAMAR KA DARD AUR DARPAN THIS BLOG CONTAINS THE PAIN OF THE SOCIETY AND DIFFERENT COLOURS OF LIFE -SHARE N CARE - LOVE JUSTICE-TRUTH-HONESTY-HELP NEEDY PEOPLE-
YOU ARE HEARTLY WELCOME AT PRATAPGARH SAHITY PREMI MANCH
AAIYE PRATAPGARH KE LIYE KUCHH LIKHEN -skshukl5@gmail.com
औरत रत निज कर्म में, मिला सफलता मन्त्र । सेहत से हत भाग्य पर, नरम सुरक्षा तंत्र । नरम सुरक्षा तंत्र, जरायम बढ़ते जाते । करता हवश शिकार, नहीं कामुक घबराते । जिन्सी ताल्लुकात, तरक्की करता भारत । शादी बिन बारात, बिचारी अब भी औरत ॥
1 comment:
दर्द को बयान करती सामयिक रचना ...न जाने लोग कब जागेंगे ?
भ्रमर५
Post a Comment