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Saturday, 9 March 2013

सेहत से हत भाग्य पर-

औरत रत निज कर्म में, मिला सफलता मन्त्र ।   सेहत से हत भाग्य पर, नरम सुरक्षा तंत्र । 
नरम सुरक्षा तंत्र, जरायम बढ़ते जाते ।  करता हवश शिकार, नहीं कामुक घबराते । 
जिन्सी ताल्लुकात, तरक्की करता भारत ।  शादी बिन बारात, बिचारी अब भी औरत ॥

1 comment:

SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR5 said...

दर्द को बयान करती सामयिक रचना ...न जाने लोग कब जागेंगे ?
भ्रमर५