आँख मिचौली वासंती संग
पीत वसन से सजी धरती सखि
सोन से भाव में तोलि रही सब
सोंधी सी खुश्बू हिया अब
उमड़ति
प्रीति के चन्दन लपेटि रही
अंग
कुसुमाकर बनि काम कुसुम तन
सिहरन बनि झकझोरि रहे हैं
नील गगन रक्तिम बदरी मुख
मलयानिल बढ़ी खोलि दिए हैं
पतझर के दिन बीते रे सजनी !
कोंपल-हरि मन जीत लिए हैं
कूके कोयलिया मन बागन में
बौर सना रस प्रीति सुधा जिमि
पवन मंद ज्यों बेल लिपटि
फिर
दूर भये व्याकुल चितवन करि
आँख मिचौली वासंती संग
आनंदी आनंद मगन ह्वे
पियरी सर-सों मन मीत पियारी
प्रीति अधर खिलि मोह लियो है
स्वर्ग अप्सरा मोर मगन मन झंकृत कर
हे
दुल्हन वसुधा श्रृंगार चरम
करि तीन लोक में
प्रकृति नटी हिय झंडा गाडि
के रीझि रही है !!
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सभी प्रिय मित्रों को वसंत
पंचमी और माँ सरस्वती पूजा की हार्दिक शुभ कामनाएं ....जीवन में माँ शारदे ज्योति
भरें मन पुष्पित पल्लवित हो और सदा सदा वसंत सा झूमता खिलखिलाता जीवन समाज को कुछ
दे के ही
जाए हम समाज
से जब लेते
रहे हैं तो दे
के जाना भी हमारा
धर्म ही तो है
जय श्री राधे
प्रिय दोस्तों इस रचना को कानपुर उ प्र से प्रकाशित दैनिक जागरण के आज के अखबार २१.२.१३ में प्रकाशित किया गया आप सब पाठकों और जागरण जंक्शन का बहुत बहुत आभार
भ्रमर ५
प्रतापगढ़ उ प्र
सुरेन्द्र कुमार शुक्ल
भ्रमर 5
प्रतापगढ़ अवध
14.02.2013 11.45 मध्याह्न
सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः
10 comments:
सादर नमन ।।
बढ़िया है -
शुभकामनायें-
आदरणीय शास्त्री जी आप बताएं या न बताएं रचना ले जाएँ समाज के कुछ काम तो आये , आप का ये स्नेह साहित्य को यों ही मिलता रहे प्रेमी जन हम सब जुड़े रहें बस ...अच्छा लगा आप ने इस वासंती रचना को मान दिया ..
आप के साथ साथ सभी प्रेमी सुधी पाठक गन मित्रों को वंसंत पंचमी की हार्दिक शुभ कामनाएं कोमल हरे पत्तों से ताजगी और आये अपने रिश्तों में
आभार
भ्रमर ५
प्रिय रविकर जी ...आभार प्रोत्साहन हेतु
भ्रमर 5
प्रतापगढ़ साहित्य प्रेमी मंच
आदरणीय शास्त्री जी आप बताएं या न बताएं रचना ले जाएँ समाज के कुछ काम तो आये , आप का ये स्नेह साहित्य को यों ही मिलता रहे प्रेमी जन हम सब जुड़े रहें बस ...अच्छा लगा आप ने इस वासंती रचना को मान दिया ..
आप के साथ साथ सभी प्रेमी सुधी पाठक गन मित्रों को वंसंत पंचमी की हार्दिक शुभ कामनाएं कोमल हरे पत्तों से ताजगी और आये अपने रिश्तों में
आभार
भ्रमर ५
प्रिय रविकर जी ...आभार प्रोत्साहन हेतु
भ्रमर 5
प्रतापगढ़ साहित्य प्रेमी मंच
आदरणीय शास्त्री जी आभार रचना को मान मिला आप जैसे गुरुजन से हार्दिक ख़ुशी हुयी अपना स्नेह बनाये रखें
भ्रमर ५
प्रिय रविकर जी रचना आप के मन को छू सकी ख़ुशी हुयी अपना स्नेह बनाये रखें
भ्रमर ५
प्रिय रविकर जी रचना आप के मन को छू सकी ख़ुशी हुयी अपना स्नेह बनाये रखें
भ्रमर ५
प्रिय दोस्तों इस रचना को कानपुर उ प्र से प्रकाशित दैनिक जागरण के आज के अखबार २१.२.१३ में प्रकाशित किया गया आप सब पाठकों और जागरण जंक्शन का बहुत बहुत आभार
भ्रमर ५
प्रतापगढ़ उ प्र
तुषार रस्तोगी जी प्रतापगढ़ साहित्य प्रेमी मंच में आपक स्वागत है ...
आप का ब्लॉग अच्छा लगा ..
भ्रमर ५
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