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Monday 9 March 2020


नफरत की ज्वाला में,
घी का हवन देते,
कुछ लोग,
तस्वीरें बनाते,
आविष्कार करते,
आपस में उलझे हैं,
आग उसने लगाई,
इस ने लगाई,
खुद जली,
बतिया रहे,
बची हुई सांसों को,
सुलगते अंगारों से,
जहरीले धुएं में,
हवा देते,
घुट घुट के जीते हुए,
छोड़ कहीं जा रहे,
हरी भरी तस्वीरें
काली विकराल हुई
मूरत की सूरत में
आंखें बस लाल हुईं
काश कुछ बौछारें,
शीतलता की आएं,
दहकती इन लपटों की
अग्नि बुझाएं,
धुंध धुएं को हटाएं,
पथराई आंखों में आंसू तो आएं
स्नेह की , दया की ,
भूख की प्यास की ,
जीवन के चाह की,
चमक तो जगाएं


सुरेन्द्र कुमार शुक्ल  भ्रमर 5


सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः

3 comments:

Sawai Singh Rajpurohit said...

सही बात कही है आपने

SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR5 said...

बहुत बहुत धन्यवाद आपका प्रोत्साहन हेतु

SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR5 said...

बहुत बहुत धन्यवाद आपका प्रोत्साहन हेतु