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Monday 2 September 2013

प्रेरणा शिक्षक से

आसपास के अनाचार से  
खुद को बचाकर रखा 
पंक में खिले कमल की तरह 
कीचड से स्वम् को बचाया तुमने 
सागर में सीपी बहुत थी 
अनगिनत मोती छिपे थे जिनमे 
उनमे से कुछ को खोजा 
बड़े यत्न से तराशा तुमने
 जब आभा उनकी दिखती है 
प्रगति दिग दिगंत में फैलती है 
लगता है जाने कितने
 प्यार से तराशा गया है 
उनकी प्रज्ञा को जगाया गया है
काश सभी तुम जैसे होते 
कच्ची माटी जैसे बच्चों को 
इसी प्रकीर सुसंस्कृत करते 
अच्छे संस्कार देते 
स्वच्छ और स्वस्थ मनोबल देते 
अपने बहुमूल्य समय में से 
कुछ तो समय निकाल लेते 
फूल से कोमल बच्चों को ,
विकसित करते सक्षम करते ,
जो कर्तव्य तुमने निभाया है ,
सन्देश है उन सब को 
तुम से कुछ सीख पाएं 
नई पौध विकसित कर पाएं 
खिलाएं नन्हीं कलियों को 
कई वैज्ञानिक जन्म लेंगे 
अपनी प्रतिभा से सब को 
गौरान्वित करेंगे 
जीवन में भी सफल रहेंगे 
अन्य विधाओं में भी 
अपनी योग्यता सिद्ध करेंगे 
जब रत्नों की मंजूषा खुलेगी 
कई अनमोल रत्न निकलेंगे |
आशा
सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः

4 comments:

कालीपद "प्रसाद" said...

बहुत अच्छा प्रगति वादी,परोपकारी सोच ,काश ! सभी, विशेषकर हमारे नेतागण ऐसे सोच पाते
latest post नसीहत

Asha Lata Saxena said...

टिप्पणी हेतु आभार कालीपद जी

SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR5 said...

नई पौध विकसित कर पाएं
खिलाएं नन्हीं कलियों को
कई वैज्ञानिक जन्म लेंगे
अपनी प्रतिभा से सब को
गौरान्वित करेंगे
जीवन में भी सफल रहेंगे
आदरणीया आशा जी बहुत सुन्दर सीख सुन्दर आह्वान ..गुरुओं की महिमा बनायीं रखी जाए ..गुरु शिष्य का नाता बहुत ही प्यारा और महत्वपूर्ण है जीवन के सफ़र में ...
भ्रमर ५

Surendra shukla" Bhramar"5 said...

ब्लॉग चिटठा में इस ब्लॉग को शामिल किया गया सुन कर ख़ुशी हुयी ...ब्लाग चिटठा की प्रगति के लिए ढेर सारी हार्दिक शुभ कामनाएं
भ्रमर ५