आसपास के अनाचार से
खुद को बचाकर रखा
पंक में खिले कमल की तरह
कीचड से स्वम् को बचाया तुमने
सागर में सीपी बहुत थी
अनगिनत मोती छिपे थे जिनमे
उनमे से कुछ को खोजा
बड़े यत्न से तराशा तुमने
जब आभा उनकी दिखती है
प्रगति दिग दिगंत में फैलती है
लगता है जाने कितने
प्यार से तराशा गया है
उनकी प्रज्ञा को जगाया गया है
काश सभी तुम जैसे होते
काश सभी तुम जैसे होते
कच्ची माटी जैसे बच्चों को
इसी प्रकीर सुसंस्कृत करते
अच्छे संस्कार देते
स्वच्छ और स्वस्थ मनोबल देते
अपने बहुमूल्य समय में से
कुछ तो समय निकाल लेते
फूल से कोमल बच्चों को ,
विकसित करते सक्षम करते ,
जो कर्तव्य तुमने निभाया है ,
सन्देश है उन सब को
विकसित करते सक्षम करते ,
जो कर्तव्य तुमने निभाया है ,
सन्देश है उन सब को
तुम से कुछ सीख पाएं
नई पौध विकसित कर पाएं
खिलाएं नन्हीं कलियों को
कई वैज्ञानिक जन्म लेंगे
अपनी प्रतिभा से सब को
गौरान्वित करेंगे
जीवन में भी सफल रहेंगे
अन्य विधाओं में भी
अपनी योग्यता सिद्ध करेंगे
जब रत्नों की मंजूषा खुलेगी
कई अनमोल रत्न निकलेंगे |
आशा
आशा
4 comments:
बहुत अच्छा प्रगति वादी,परोपकारी सोच ,काश ! सभी, विशेषकर हमारे नेतागण ऐसे सोच पाते
latest post नसीहत
टिप्पणी हेतु आभार कालीपद जी
नई पौध विकसित कर पाएं
खिलाएं नन्हीं कलियों को
कई वैज्ञानिक जन्म लेंगे
अपनी प्रतिभा से सब को
गौरान्वित करेंगे
जीवन में भी सफल रहेंगे
आदरणीया आशा जी बहुत सुन्दर सीख सुन्दर आह्वान ..गुरुओं की महिमा बनायीं रखी जाए ..गुरु शिष्य का नाता बहुत ही प्यारा और महत्वपूर्ण है जीवन के सफ़र में ...
भ्रमर ५
ब्लॉग चिटठा में इस ब्लॉग को शामिल किया गया सुन कर ख़ुशी हुयी ...ब्लाग चिटठा की प्रगति के लिए ढेर सारी हार्दिक शुभ कामनाएं
भ्रमर ५
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