हर हिन्दू देश भक्त है , हिन्दू से हिंदुस्तान
नहीं सहा है नहीं सहेंगें हिन्दू अपना अपमान !
अन्याय के विरूद्ध सदा ही हिन्दू शस्त्र उठाते ,
मासूमों की रक्षा कर अपना धर्म निभाते ,
भारत माँ की रक्षा हित उत्सुक हो देते प्राण !
नहीं सहा है नहीं सहेंगें हिन्दू अपना अपमान !
आतंक मिटाने वालों को तुम आतंकी हो कहते ,
खोल किताबे ''हिन्दू'' का तुम मतलब तो पढ़ लेते ,
लंका दहन करें पापी की हम हैं वो हनुमान !
नहीं सहा है नहीं सहेंगें हिन्दू अपना अपमान !
मातृभूमि के वंदन तक से जिनको है परहेज़ ,
उनसे तुलना करी हमारी -करो प्रकट अब खेद ,
माफ़ी अगर नहीं मांगी तो होगा फिर संग्राम !
नहीं सहा है नहीं सहेंगें हिन्दू अपना अपमान !
जय हिन्द ! जय भारत ! जय श्री राम !
शिखा कौशिक 'नूतन'
3 comments:
सुन्दर और मधुर गीत।
लंका दहन करें पापी की हम हैं वो हनुमान !
नहीं सहा है नहीं सहेंगें हिन्दू अपना अपमान !
मातृभूमि के वंदन तक से जिनको है परहेज़ ,
उनसे तुलना करी हमारी -करो प्रकट अब खेद ,
माफ़ी अगर नहीं मांगी तो होगा फिर संग्राम !
नहीं सहा है नहीं सहेंगें हिन्दू अपना अपमान !
शिखा जी जय श्री राधे ..बिलकुल अपमान नहीं सहना है ...ये भेदभाव बर्दाश्त नहीं होना चाहिए किसी को भी ..खुराफात की भी हद होती है किसी को खुश करने के लिए कुछ भी बोल देना तो जायज नहीं
सुन्दर रचना ....नेता जी को शत शत नमन ....आप का बहुत बहुत आभार ...
जय श्री राधे
भ्रमर 5
शिखा जी बहुत सुन्दर ...सच में ये सब सुन कर पीड़ा होती है सहने वाली बात नहीं ...
भ्रमर५
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