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Tuesday 16 October 2012

वृषारूढां शूलधरां शैलपुत्री यशस्विनीम्‌ ||



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माँ शैलपुत्री पूर्ण रूपेण माँ की प्रकृति में दर्शित हैं , उन्हें देवी पार्वती प्रभु शिव की अर्धांगिनी , गणेश देवा और कार्तिकेय भगवान् की माँ के नाम से भी जाना जाता है नवरात्रि के प्रथम दिन माँ शैल पुत्री की पूजा आरम्भ होती है उनके माथे पर अर्ध चन्द्र विराजमान है और दायें हाथ में त्रिशूल धारण किये हैं बाएं हाथ में कमल का पुष्प , उनका वाहन नंदी एक वृषभ के रूप में हैं
वंदे वाद्द्रिछतलाभाय चंद्रार्धकृतशेखराम |
वृषारूढां शूलधरां शैलपुत्री यशस्विनीम्‌ ||
दुर्गा पूजा के प्रथम दिन माता शैलपुत्री की पूजा-वंदना इस मंत्र द्वारा की जाती है.
मां दुर्गा की पहली स्वरूपा और शैलराज हिमालय की पुत्री शैलपुत्री के पूजा के साथ ही दुर्गा पूजा आरम्भ हो जाता है. नवरात्र पूजन के प्रथम दिन कलश स्थापना के साथ इनकी ही पूजा और उपासना की जाती है. नवरात्र के इस प्रथम दिन की उपासना में योगी अपने मन को ‘मूलाधार’ चक्र में स्थित करते हैं और यहीं से उनकी योग साधना प्रारंभ होती है.
एक पौराणिक कथानुसार (शिव पुराण और देवी भागवतम में ) मां शैलपुत्री अपने पूर्व जन्म में प्रजापति दक्ष के घर कन्या रूप में उत्पन्न हुई थी. उस समय माता का नाम सती था और इनका विवाह भगवान् शंकर से हुआ था. एक बार प्रजापति दक्ष ने यज्ञ आरम्भ किया और सभी देवताओं को आमंत्रित किया परन्तु भगवान शिव को आमंत्रण नहीं दिया. अपने मां और बहनों से मिलने को आतुर मां सती बिना निमंत्रण के ही जब पिता के घर पहुंची तो उन्हें वहां अपने और भोलेनाथ के प्रति तिरस्कार से भरा भाव मिला. मां सती इस अपमान को सहन नहीं कर सकी और वहीं योगाग्नि द्वारा खुद को जलाकर भस्म कर दिया और अगले जन्म में शैलराज हिमालय के घर पुत्री रूप में जन्म लिया. शैलराज हिमालय के घर जन्म लेने के कारण मां दुर्गा के इस प्रथम स्वरुप को शैल पुत्री कहा जाता है.
आओ अपने वातावरण को हर तरह से स्वच्छ रख अपने मन और तन को शुद्ध कर माँ दुर्गे की आराधना और भजन पूजन आरती करें ये नौ दिन हमारे जीवन में यादगार बने कुछ नयी ऊर्जा भरे हमारे जीवन में , खुश रहें खुश रखें पवित्र हो सब , निश्चित ही माँ सब मंगलमय करेंगी और सब का कल्याण होगा दुष्टों का भी सुधार करें माँ , उन्हें सदबुद्धि दें और इंसानियत का पाठ पढ़ा दें कुछ चमत्कार हो
जय माता दी
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जय माँ वैष्णो जय माँ शेरो वाली
सभी मित्र मण्डली और उनके घर परिवार सगे सम्बन्धियों को नवरात्रि की हार्दिक शुभ कामनाएं
सुरेन्द्र कुमार शुक्ल भ्रमर ५
कुल्लू यच पी
ब्लॉगर प्रतापगढ़ उ.प्र.
१६.१०.२०१२



सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः

2 comments:

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

जय हो माता जी की!

Surendra shukla" Bhramar"5 said...

बहुत बहुत धन्यवाद आप सपरिवार को भी शास्त्री जी नवरात्रि की हार्दिक शुभ कामनाएं माँ सब मंगल करें
भ्रमर ५