AAIYE PRATAPGARH KE LIYE KUCHH LIKHEN -skshukl5@gmail.com
Tuesday 30 April 2013
Thursday 25 April 2013
आधा तीतर आधा बटेर
जाग जाग रातें काटीं
मुश्किलें किसी से न बांटीं
कभी खोया -खोया रहा
कभी जार जार रोया
कठिनाइयां बढती गईं
कमीं उनमें न आई
सुबह और शाम
मंहगाई का बखान
रात में आते
स्वप्न में भी गरीबी
फटे कपडे और उधारी
वह बेरोजगार डिग्री धारी
हाथ न मिला पाया
भ्रष्टाचार के दानव से
सोचता दिन रात
जाए तो जाए कहाँ
वह कागज़ का टुकड़ा
मजदूरी भी करने न देता
जब भी लाइन में लगा
कहा गया "जाओ बाबू
यह तुम्हारे बस का नहीं
क्यूँ की तुम
आम आदमीं नहीं "
इस डिग्री ने तो कहीं का न छोड़ा
ना ही कुछ बन पाया
ना ही आम आदमीं से जुड़ा
आधा तीतर आधा बटेर
मात्र बन कर रह गया
मन में बहुत ग्लानी हुई
समाधान समस्या का नहीं
यह कैसे समझाए की
वह भी है एक आम आदमीं
कर्ज के बोझ से दबा है
इस डिग्री के लिए
जो अभी तक चुका नहीं
तभी तो काम की तलाश में
दर दर भटक रहा है |
आशा
सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाःमुश्किलें किसी से न बांटीं
कभी खोया -खोया रहा
कभी जार जार रोया
कठिनाइयां बढती गईं
कमीं उनमें न आई
सुबह और शाम
मंहगाई का बखान
रात में आते
स्वप्न में भी गरीबी
फटे कपडे और उधारी
वह बेरोजगार डिग्री धारी
हाथ न मिला पाया
भ्रष्टाचार के दानव से
सोचता दिन रात
जाए तो जाए कहाँ
वह कागज़ का टुकड़ा
मजदूरी भी करने न देता
जब भी लाइन में लगा
कहा गया "जाओ बाबू
यह तुम्हारे बस का नहीं
क्यूँ की तुम
आम आदमीं नहीं "
इस डिग्री ने तो कहीं का न छोड़ा
ना ही कुछ बन पाया
ना ही आम आदमीं से जुड़ा
आधा तीतर आधा बटेर
मात्र बन कर रह गया
मन में बहुत ग्लानी हुई
समाधान समस्या का नहीं
यह कैसे समझाए की
वह भी है एक आम आदमीं
कर्ज के बोझ से दबा है
इस डिग्री के लिए
जो अभी तक चुका नहीं
तभी तो काम की तलाश में
दर दर भटक रहा है |
आशा
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